पूर्णियां/सिटिहलचल न्यूज
पूर्णिया जिले के राजेन्द्र नगर, मधुबनी निवासी डॉ. अक्षय कुमार, सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक डॉ. लक्ष्मीनारायण शर्मा तथा माता श्रीमती मिनाक्षी शर्मा के सबसे छोटे पुत्र हैं। सात भाई-बहनों में सबसे छोटे अक्षय कुमार ने कठिन परिश्रम और लगन के बल पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से नाट्यशास्त्र विषय में Doctor of Philosophy (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है।विशेष गौरव की बात यह है कि डॉ. अक्षय कुमार पूर्णिया के पहले रंगकर्मी हैं जिन्होंने नाट्यशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनके शोध का विषय “स्वातंत्र्योत्तर बिहार में रंगमंच : एक अध्ययन” रहा। इस शोधकार्य में उनकी मार्गदर्शिका प्रोफेसर डॉ. लावण्या कीर्ति सिंह 'काव्या’ का विशेष सहयोग और मार्गदर्शन रहा, जिन्होंने शोध यात्रा के हर पड़ाव पर उन्हें नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर किया।डॉ. लावण्या कीर्ति सिंह 'काव्या’ वर्तमान में विभागाध्यक्ष एवं पूर्व संकायाध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी ख्याति राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रही है। पद्मभूषण से सम्मानित लोकगायिका पद्मश्री शारदा सिन्हा ने भी उनके मार्गदर्शन में पीएच.डी. पूरी की थी। वे स्वर की आभा हैं और उनके निर्देशन में दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, असंख्य आलेख और व्याख्यान देश-विदेश में प्रस्तुत हो चुके हैं।डॉ. अक्षय कुमार के परिवार का शैक्षणिक और सामाजिक योगदान उल्लेखनीय रहा है। उनके बड़े भाई डॉ. जयशंकर पेशे से चिकित्सक हैं
जबकि पाँचों बहनें भी विभिन्न सरकारी सेवाओं में शिक्षक एवं अभियंता के रूप में कार्यरत हैं। यह परिवार शिक्षा और सेवा दोनों क्षेत्रों में समाज को निरंतर योगदान दे रहा है।विशेष उल्लेखनीय है कि डॉ. अक्षय के पिता डॉ. लक्ष्मी नारायण शर्मा ने भी नाट्यशास्त्र से जुड़ा हुआ शोध “मोहन राकेश के नाट्य-साहित्य पर अध्ययन” विषय पर किया था। ऐसा प्रतीत होता है कि पिता का शोध-रुझान और शैक्षणिक संस्कार ही पुत्र की शिराओं में उतरकर आज यह गौरवपूर्ण उपलब्धि लेकर आया है।चिकित्सा (Medical) की पढ़ाई छोड़कर अपने जीवन का निर्णायक मोड़ चुनने वाले डॉ. अक्षय कुमार ने अंततः प्रदर्शन कला (Performing Arts) के क्षेत्र में वह मुकाम हासिल किया, जिसकी उन्होंने कभी मुंबई जाकर फिल्म स्टार बनने के सपनों के साथ शुरुआत की थी। वर्षों के संघर्ष और कठिन परिश्रम के बाद आज वे पूर्णिया के पहले रंगकर्मी बने हैं जिन्होंने नाट्यशास्त्र में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त कर जिले और राज्य का मान बढ़ाया है
वर्तमान में डॉ. अक्षय कुमार मिलिया एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रदर्शन कला विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। वे पिछले कई वर्षों से टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के प्रशिक्षु शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपनी कला और ज्ञान से प्रशिक्षित कर रहे हैं तथा मिलिया को एक नई पहचान और ऊँचाई तक ले जाने में लगे हुए हैं।इस गौरवशाली उपलब्धि का श्रेय केवल उनके पिता ही नहीं, बल्कि माता श्रीमती मिनाक्षी शर्मा, जीवनसंगिनी ज्योति ठाकुर एवं पुत्र ठाकुर ईशान अक्षय शर्मा ‘ठाकुर साहेब’ को भी जाता है। परिवार का यह नैतिक, भावनात्मक और निरंतर सहयोग ही उन्हें कठिन से कठिन परिस्थितियों में आगे बढ़ने और अपने सपनों को साकार करने की शक्ति देता रहा।इस उपलब्धि से पूर्णिया वासियों में खुशी की लहर है। परिवार एवं शुभचिंतकों के बीच उत्साह और गर्व का वातावरण व्याप्त है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉ. अक्षय कुमार की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणादायी है।
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