बिहार आदिवासी विकास परिषद् ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया

पूर्णियां से बालमुकुन्द यादव की रिपोर्ट

पूर्णियाँ: बिहार में अब लोहार जाति एसटी श्रेणी में नहीं आएंगे। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में लोहार जाति पर असर डालने वाला अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाण पत्र देने की बिहार सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी है।कोर्ट ने कहा है कि लोहार बिहार में एसटी वर्ग में नहीं आते। कोर्ट ने बिहार सरकार पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने साफ किया है अधिसूचना सिर्फ लोहार जाति के संबंध में रद्द की जा रही है।जबकि लोहारा को एसटी वर्ग में मिलने वाले लाभ जारी रहेंगे। कोर्ट ने कहा कि लोहारा समुदाय एसटी वर्ग में आता है, जबकि लोहार जाति नहीं


यह फैसला न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और ऋषिकेश राय की पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने बिहार में लोहार जाति को एसटी प्रमाण पत्र देने की 23 अगस्त 2016 की अधिसूचना को रद्द की है।सुप्रीम कोर्ट इससे पहले तीन फैसलों 1996 में नित्यानंद शर्मा, 1997 में विनय प्रकाश शर्मा और 2006 में प्रभात कुमार शर्मा मामले कह चुका है कि लोहार बिहार में एसटी नहीं, ओबीसी वर्ग में आते हैं।वही इस मुद्दे पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार आदिवासी विकास परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र उरांव ने कहा कि वोट बैंक के लिए नीतीश ने बिहार के दलितों आदिवासियों के साथ लोहार समुदाय के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया 


नीतीश  कुमार ने वोट बैंक के लिए भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए वर्ष 2016 मे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बिहार के लोहार समुदाय को लोहारा लोहरा जनजाति के नाम से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार के द्वारा सर्कुलर जारी करने के कुछ दिन बाद भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सरकार के निर्णय पर कहा कि बिहार सरकार का आदेश गैर संवैधानिक और मनमाना है लिहाजा लोहार को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया


कुछ समुदायों के वोट बैंक को हासिल करने के लिए नीतीश कुमार ने न केवल बिहार के दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार के साथ खिलवाड़ किया अपितु लोहार समुदाय के होनहार बच्चों के जीवन पर भी कुठाराघात किया। आज लोहार समुदाय बिहार मे ना ओबीसी है ना अनुसूचित जनजाति। इस फैसले का बिहार आदिवासी विकास परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र उरांव, सचिव दीपक बड़ा, महासचिव सत्येन्द्र गोंड , मीडिया प्रभारी आनन्द लकड़ा ने माननीय सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया।

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