अशर्फी लाल वर्मा की मनाई गई जयंती

 


बालमुकुन्द यादव की रिपोर्ट

कलाभवन के संस्थापक सदस्यों में से एक स्मृतिशेष अशर्फी लाल वर्मा की 129वीं जयंती कलाभवन साहित्य विभाग द्वारा  मनाई गई । कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ आलोक ने की। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रोफेसर देव नारायण देव और अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर शंभू लाल वर्मा कुशाग्र जी  थे। कला भवन साहित्य विभाग की संयोजिका डॉ निरुपमा राय ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत किया और स्मृति शेष अशर्फीलाल वर्मा जी को कालजयी बताते हुए उनके साहित्यिक अवदान की चर्चा की। भोलानाथ आलोक ने कहा अशर्फी लाल वर्मा एक महान व्यक्तित्व थे उनकी कविताओं पर चर्चा होनी चाहिए आज उनके जैसे विराट व्यक्तित्व की बहुत जरूरत है


उनके पुत्र और कला भवन प्रन्यास के सम्मानित सदस्य डॉ प्रभात कुमार वर्मा ने कहा कि उन्होंने जन्म ही पूर्णिया अंचल के लिए लिया था । उन्होंने रामायण का प्रचार अहिंदी भाषी क्षेत्र में किया बहुत सी संस्थाओं के अध्यक्ष और सदस्य थे। 1930 के नमक आंदोलन में उनका योगदान सराहनीय था। हिंदी भाषा की उन्नति और समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने अतुलनीय कार्य किया उनका पुत्र होने पर मुझे गर्व है ‌विशिष्ट वक्ता प्रो  देव नारायण देव ने कहा राजनीति का कार्य साहित्य के बगैर नहीं चल सकता साहित्य मशाल दिखाने वाली ताकत है पथ प्रदर्शक है ।अशर्फीलाल वर्मा के जीवन में साहित्य राजनीति और समाज सेवा की त्रिवेणी बहती थी वस्तुत अभिव्यक्ति का खतरा उठाने वाला कवि ही  महान होता है विशिष्ट वक्ता पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शंभू लाल वर्मा कुशाग्र ने कहा अशर्फीलाल वर्मा को पढ़ना आज के युवा रचनाकारों के लिए नितांत आवश्यक है

मनोर्मि उनकी 63 कविताओं का संग्रह है इन कविताओं में बहुत बड़ा फलक है ।वे एक  सांगठनिक और साहित्यिक व्यक्तित्व थे ।उन्होंने कहा था कि भारत मां का अभ्युदय हिंदी सेवा से ही होगा।वे  विनोबा भावे और रविंद्र नाथ टैगोर की विचारधारा से प्रभावित कवि थे। कार्यक्रम को श्री गोपाल चंद घोष मंगलम प्रोफेसर ए एच दानिश श्री गिरजानंद एम एच रहमान कैलाश बिहारी चौधरी के. के चौधरी और डॉ गंगेश पाठक इत्यादि साहित्यकारों ने भी संबोधित किया। डॉ निशा प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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