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मातृत्व की शक्ति और अटूट विश्वास का प्रतीक है जितिया व्रत

 

मुरलीगंज/मिथिलेश कुमार 

मधेपुरा : प्रखंड क्षेत्र में रविवार को प्रातःकाल से ही वातावरण पूरी तरह धार्मिक आस्था और उत्साह से भर गया। महिलाएं पारंपरिक परिधान धारण कर स्नान के उपरांत जीवित्पुत्रिका (जितिया) व्रत की पूजा-अर्चना में जुटीं। व्रती माताओं ने भगवान जीमूतवाहन की आराधना कर संकल्प लिया और पूरे दिन निर्जला उपवास रखा। गांव-गांव में सुबह से ही महिलाएं टोली बनाकर कथा सुनने और भक्ति गीत गाने के लिए एकत्र हुईं। पारंपरिक गीतों की स्वर लहरियों से पूरा माहौल आध्यात्मिक और भक्ति भाव से सराबोर हो उठा


व्रत के दौरान माताएं न तो अन्न ग्रहण करती हैं और न ही जल की एक बूंद पीती हैं। उनका एकमात्र संकल्प अपनी संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करना होता है। स्थानीय महिलाओं का कहना है कि जितिया व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह मातृत्व की शक्ति, त्याग और अटूट विश्वास का प्रतीक है

पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही यह परंपरा आज भी समाज की एकता और संस्कृति को जीवंत बनाए हुए है। पूरे दिन घर-आंगन से लेकर मंदिरों तक भक्ति का माहौल रहा। संध्या होते-होते व्रती माताओं के चेहरे पर संकल्प की दृढ़ता और संतान के प्रति अपार स्नेह साफ झलक रहा था।

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