पूर्णिया /विकास कुमार झा
पूर्णियाँ के कृत्यानंद नगर प्रखंण्ड के परोरा में बने 105 करोड़ की लागत से बना देश का पहला ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथनॉल उत्पादन इकाई का उद्धघाटन शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्णिया में किया।
पटना से हवाई मार्ग से दिन के 12 बजे परोरा पहुँचकर इथनॉल इकाई मशीन का स्वीच दबाकर इथनॉल उत्पादन का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार से कई जगह से इथनॉल इकाई लगाने का प्रस्ताव आया था। जिसके बाद हमलोगों ने कानून बनाकर अमेंडमेंट करके केंद्र सरकार को भेजा था फिर 2019 में केंद्र सरकार ने इथनॉल नीति को लागू कर दिया। इसके लिए हमलोग 2007 से ही प्रयासरत थे, बड़ा ऑफर भी आया था मगर उस वक़्त की सरकार ने इसे माना नहीं। आज जब इथनॉल बनना शुरू हो गया तो उनके भी मन मे जिज्ञासा थी कि आखिर कैसे इथनॉल बनता है, उन्होंने घूम घूम कर बनाने की विधि का निरक्षण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इथनॉल बनने से देश को बड़ा लाभ होने जा रहा है, अब ज्यादा पैट्रोल डीजल पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी खुशी की बात है कि बिहार उधोग के क्षेत्र में विकास कर रहा है। लोगो के लिए रोजगार सृजन भी हो रहा है।
वहीं उधोग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने जब से इथनॉल नीति बनाई है, उसमे बिहार इथनॉल उत्पादन के रूप में सभी का पंसदीदा जगह बन रहा है। बिहार के द्वारा दी गई छूट को देखकर पूरे देश ने बिहार के इथनॉल नीति को अपनाया है।उहोने बताया कि इथनॉल के लिए बिहार की सरकार ने 172 करोड़ लीटर का बिड किया था, मगर कोटा 18 हजार करोड़ का मिला। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा केंद्र से बात करने पर बिहार का कोटा 36 हजार करोड़ लीटर मिला। उन्होंने कहा कि आज उद्धघाटन होने से उन्हें प्रसन्नता हो रही है कि यह देश का पहला ग्रीन बेस्ड इकाई है। यह इकाई कोसी सीमांचल के किसानों के लिए बड़ी सौगात है।उन्होंने बताया कि इस तरह के कई और प्लांट
बिहार में बन रहे है, मुजफ्फरपुर में 4 और गोपालगंज, आरा में 2 प्लांट बनकर तैयार है। इस तरह तीन और जगह इस तरह की इकाई लगाई जा रही है।
मालूम हो कि इस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल प्रा० लि० के द्वारा न्यू ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल का प्लांट पूर्णियां के कृत्यानंद नगर के परोरा में लगाया है, जिसकी प्रतिदिन क्षमता 65 हजार लीटर इथनॉल उत्पादन का होगा।इसके लिये प्लांट को प्रतिदिन 165 टन मक्का. 145 टन ब्रोकन राइस और 135 टन धान की भुस्सी की आवश्यकता पड़ेगी। प्लान्ट की आवश्यकता पूर्ति के किसानों से सीधे मक्का चावल और भूसी खरीदा जायेगा, जिससे किसानों को उचित मुल्य मिलेगा साथ वह बिचौलियों के हाथों फंसने से बचे रहेंगे।
इस प्लांट की सबसे बड़ी विशेषता है यह खुद अपने खपत के लिए बिजली उत्पादन करेगी। प्लान्ट की बिजली उत्पादन की क्षमता 2.65 मेगावाट है जो वर्तमान में आवश्यकता से अधिक है। फैक्ट्री में प्रतिदिन 150 प्रशिक्षित वर्कर कार्यरत रहेंगे, जिससे क्षेत्र में रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी।
सबसे खास बात यह है कि सेकेंड क्वालिटी का जो मक्का है, जिसके खरीदार कम हैं, उसे भी फैक्ट्री खरीदेगी।