बुजुर्ग ने कहा 90 साल में पहली बार नदी का पानी देखा सूखते

अमौर/सनोज

पूर्णियाँ: अमौर प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी के कारण बकरा नदी का पानी सुख जाने से लोगों में चिंता का विषय बना हुआ है। जिससे जलीय जीव जंतु विलुप्त होने के कगार पर हो गया है । जिससे इस क्षेत्र के लोगों को नदी सुख जाने से एक बहुत बड़ी समस्या का विषय बना हुआ है । इस क्षेत्र के  90 साल के वयोवृद्ध जगमोहन विश्वास ने बताया कि इस नदी में सालों भर पानी बहती रहती थी। यह नेपाल के तराई क्षेत्र से पानी आती है लेकिन इस बार 90 साल की उम्र में पहली बार हमने इस नदी को सुखते हुए देखा है।जिससे क्षेत्र के लोगों को सिंचाई करने से लेकर माल मवेशी के पानी पीने नहाने से लेकर लोगों के सामने एक विकट समस्या उत्पन्न हो गया है । खासकर इस क्षेत्र मे अधिकतर लोग नदी के किनारे बसे हुए है। मछली खाना ज्यादा पसंद करते हैं । और मछली बेचकर  अपना जीवन यापन करते हैं। नदी मे तरह तरह की मछली मिल जाता था, लेकिन अभी वर्तमान में पानी सूख जाने के कारण मछुआरों को अपने जीवन यापन करने के लिए व्यापक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जलिय जीव जन्तु विलुप्त होने के कारण मछुआरे  लोगो को जीवन यापन करने के लिए दिल्ली पंजाब के लिए पलायन करने पर रोजी रोटी के लिए मजबूर हैं । समय रहते इस पर पहल नहीं किया गया तो इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए किसानों से लेकर मालजाल को व्यापक कठिनाइयों सामना करना पर रहा है 


इसलिए इन लोगों ने बिहार सरकार से इस ओर ध्यान देकर नदी सफाई एवं खुदाई करने की मांग की है, वहीं दूसरी ओर भीषण गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ रही है। गर्मी की शिद्दत के साथ ही तापमान में निरंतर बढ़ोत्तरी होने लगी है। इसका सीधा प्रभाव जलस्तर पर पड़ा है। अधिकांश ताल तलैया सूखने लगे हे। जलस्तर में कमी और ताल-तलैया के सूखने से इंसान ही नहीं पशु पक्षी और मवेशियों की भी मुसीबत बढ़ गई है।  इससे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी तथा आदि जनजाति के लोगों के साथ साथ पशु पक्षियों जीव-जंतुओं के लिए पीने पानी का संकट गहरा गया है

गर्मी के कारण जलस्तर पाताल की ओर समाने लगी है। कुंआ नदी, नाले, आदि जलाशय सूख रहे हैं।इसके अलावा किसान पानी की कमी के कारण दोहरी आर्थिक स्थिति झेलने के लिए विवश हैं। जिससे कि उनके द्वारा लगाई गई फसल बर्बाद ना हो और सब्जी बाजार में बेच सकें। पंपसेट का उपयोग कर रहे हैं अभी किसानों द्वारा मिर्च, भिंडी, करेला, खीरा, झिंगली घेरा सहित कई प्रकार के फसल लगाई गई हैं। पानी के अभाव में किसान अपनी फसल को बचाने के लिए चिंता कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि पानी के अभाव में फसल बर्बाद होने के कगार में आ गई है।

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