फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट
कटिहार : मेडिकल छात्रा निक्की का आरती उतारती माता पिता व अन्य रूसी हमले से बचकर यूक्रेन से लौटा फलका के भंगहा गांव की बेटी सह मेडिकल का छात्रा निक्की पटेल और गोविंदपुर गाँव का एक बेटा सह मेडिकल छात्र राकेश कुमार की शनिवार की सुबह अपना अपना गाँव पहुंच गया। बच्चों को सही-सलामत देख दोनों के परिजन फूले नहीं समा रहे थे। घर पहुँचते ही उसके सलामती की दुआ व प्रार्थना करने वाले पड़ोसी एवं ग्रामीणों की भीड़ उसके घर पर जुटी थी। दोनों के माता- पिता सहित सभी परिजनों ने आरती उतार कर व फूल माला पहनाकर स्वागत किया।बच्चों के सही सलामत देख दोनों के घर का माहौल उत्सव में तब्दील हो गया। पेशे से किसान निक्की के पिता राजेन्द्र पटेल एवं माता सह पूर्व मुखिया किरण पटेल समेत चाचा सुरेंद्र पटेल , चाची कंचन माला सिंहा आदि अपने जिगर के टुकड़े को देख बहुत खुश थे
सबों ने ईश्वर को पहले धन्यवाद कहा। सकुशल वापसी को लेकर छात्र सहित परिजनों ने केंद्र सरकार और सूबे की सरकार की भी सराहना कर शुक्रिया अदा किया है। घर पहुंची निक्की के चेहरे पर यूक्रेन और रूस के बीच जंग के बम बारी और मिसाइल के गोले की तड़तड़ाहट की दहशत साफ दिख रही थी। बदहवास निक्की का कहना था कि पोलैंड बॉर्डर समीप हाड़ कांपती ठंड के बीच बिताया हुआ वो 48 घंटे तक का खौफनाक मंजर कभी भुलाया नहीं जा सकता है।ऐसा लगता है कि अभी भी कानों में मिसाइल व गोलियों की तड़तड़ाहट व बम के धमाके गूंज रही है।जब पोलैंड पहुंचे और भारतीय एंबेसी के सहयोग से फ्लाईट से दिल्ली पहुंची तब जाकर जान में जान आई माता
किरण पटेल,पिता राजेंद्र पटेल, चाचा सुरेंद्र पटेल व चाची कंचनमाला सिन्हा ने बताया कि सबों के दुआ और आशिर्वाद के कारण मौत के मुँह से निक्की लौट कर आज हमलोगों के बीच पहुँच आई है।निक्की सहित सभी परिजन बेटी के कैरियर को लेकर काफी चिंतित थे,क्योंकि निक्की के डॉक्टर की पढ़ाई फाइनल होने में मात्र डेढ़ वर्ष बचा हुआ था। मेडिकल छात्रा नुक़्क़ी का कहना था रूसी हमले के कारण हम छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। इसलिए केंद्र व राज्य सरकार हम बच्चों के बचे बांकी पढ़ाई को पूरा कराने के दिशा में जल्द ही कोई कदम उठाए
वहीं गोविंदपुर गाँव के किसान के पुत्र राकेश कुमार ने बताया कि बहुत मेहनत से पिता ने अक्टूबर 2021 में यूक्रेन के टरनोपिल राष्ट्रीय मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला करवाए थे।लेकिन चार माह बाद ही रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो जाने से हमारा कैरियर अब दाव पर लग गया है।आंखों के सामने बीते हुवे वह खौफनाक मंजर को याद कर अभी भी आँखों से आँसू छलक पड़ता है।बहरहाल दोनों मेडिकल के छात्रों की घर वापसी के लिए सलामती के लिए दुआ करने वाले ग्रामीण सहित सभी शुभचिंतक पहुंच रहे थे।
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