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चौसा के वैष्णवी दुर्गा की 61वर्षो से चौसा में होती आ रही पूजा

 

चौसा/अंसार आलम  

मधेपुरा : मुख्यालय के दक्षिण दिशा में अवस्थित चौसा में श्रद्धालु भक्तो को मनौवांच्छित फल देने वाली वैष्णवी माता दुर्गा मंदिर का इतिहास आज से करीब 61पहले की है। मंदिर में जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना करने व संतान के लिए मन्नते मांगते है उनकी यह मुराद देर सबेर यहाँ पूरी हो जाती है। इतना ही नहीं वैष्णवी दुर्गा भले ही शक्ति पीठ में शामिल नहीं हो लेकिन इसकी ख्याति दूर दूर फैली हुई है । इस ईलाके के लिए यह मंदिर आस्था का केन्द्र बना हुआ है। स्थानीय लोगो का कहना है कि सन् 1963 में यहां के तत्कालीन बीडीओ राजेश्वर प्रसाद सिंह एक बार विजयी दशमी के अवसर में मेला देखने बहदूरा जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में उनकी जीप खराब हो गयी थी। लेकिन माता के सस्ंमरण करने के बाद उनकी जीप ठीक तो गयी। और उनको स्वप्न में उसी रात वैष्णवी दुर्गा की पूजा करते चौसा में देखा गया


इतना ही मॉ दुर्गा देवी ने मंदिर निर्माण की प्रेरणा दे दिया। उस समय जब सूबह हुई तो श्री बीडीओ श्री सिंह ने स्थानीय बुद्धिजीवियों के बीच एक बैठक किये जिसमें सुरज मल अग्रवाल,लख्खी राम अग्रवाल,हरि पटवे,अविनाश चन्द्र यादव,पंचानन्द भगत,बित्तो यादव,बिन्देश्वरी पासवान,चमकलाल मेहता सहित कई नामी गामी ईलाके के बुद्धिजीवियों ने चौसा में मॉ दुर्गा की स्थापना और पॉच दिवसीय मेला लगाने का प्रस्ताव लाया गया।फिर लगातार मेला लगता आया 

हिन्दु-मुस्लीम एकता का मिशाल है चौसा का दशहरा मेला। 

चौसा के हिन्दु और मुस्लमान भाईयो में आपसी भाईचारा के कारण एक ही मैदान दशहरा और मुहर्रम मेला कई बार एक साथ सफल आयोजन कर एक मिशाल कायम हुआ है। क्या कहते है वर्तमान पूजा समिति लोग  स्थानीय दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अनिल मुनका,सचिव सूर्य कुमार पटवे,कोषाध्यक्ष पुरूषोत्तम राम अग्रवाल, बिंदेश्वरी पासवान, चमकलाल मेहता,राजकिशोर पासवान, प्रो विजय गुप्ता, सीमा गुप्ता, संजू कुमार,कुंदन कुमार बंटी, अमित कुमार डान, पुलकित पासवान आदि सदस्यों ने बताया कि सबो की दुःखो की हरण करने वाली मॉ दुर्गा की कृपा हर भक्तो पर दया बरसाते है। जिस कारण उसके भक्तो की झोली भरी रहती है। यहां जो भी खाली हाथ मंदिर में आये है उनकी झोली भर गयी है।

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