आलमनगर/कन्हैया महाराज
मधेपुरा : प्रखंड मुख्यालय स्थित गंगापुर पंचायत सोनामुखी बाजार मैं सार्वजनिक दुर्गा मंदिर मनोकामना शक्तिपीठ के रूप में ख्याति प्राप्त है यह मंदिर धार्मिक व अध्यात्मिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाता है यहां सदियों से पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा मनाया जाता है पूजा के दौरान कई देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की जाती है मंदिर पुजारी अनिल भगत ने बताया कि यह मंदिर का निर्माण सन 1997 ईस्वी में हुआ था जोकि जमीन दाता शशी मोलेश्वरी प्रसाद सिंह उर्फ मोती बाबू के द्वारा मंदिर निर्माण के लिए जमीन दिया गया वही ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया इस दौरान ग्रामीणों के प्रयास से इस स्थान पर मां दुर्गा की पूजा शुरू की गई है तबसे परंपरा रूप से माता की पूजा अर्चना की जाती है वही इस दौरान मुखिया प्रतिनिधि अरुण भगत ने बताया कि कोसी क्षेत्र पहला मेला यहां लगता है
जोकि कई कोसों दूर से माता की मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं और भव्य मेला देखकर जाते हैं यही नहीं भागलपुर सीमा तक से मेला देखने के लिए पहुंचते हैं यह मंदिर वैष्णवी माता की मंदिर है यहां पर माता के मंदिर में 56 प्रकार के भोग लगते हैं कई पंडितों वेद पुराणों के साथ मंदिर में कलश स्थापना की जाती है मां के दरबार में भक्तों की भीड़ एक माह पहले से ही उमरने लगती है भक्तों की लंबी कतार मां के दरबार में लगने लगती है ,भक्तों का मानना है कि मां उनकी हर एक मनोकामना पूरी करती है भक्तों की मानो तो कइयों को पुत्र की प्राप्ति और कई कि घर को बसाया है जिला के कोने-कोने से लोग पूजा करने आते हैं यही नहीं दूसरे जिले से भी इस मंदिर के निर्माण के लिए मदद दी गई थी साथ ही मां की प्रतिमा बनाने के लिए चौसा प्रखंड से कारीगर आते हैं मां की प्रतिमा बनाते है हालांकि मा का प्रतिमा तो पहले से बनाया हुआ है फिर भी मा का प्रतिमा नीतिका बनाया जाता है सोनामुखी माता का मंदिर इस क्षेत्र में ही नहीं बल्कि कई जिले में जाने जाते हैं इस मंदिर के पूजा पाठ के लिए दो बीघा जमीन शशी मोलेश्वरी प्रसाद सिंह के पुत्र विशाल सिंह के द्वारा दिया गया है जोकि साल भर माता की पूजा बड़ी धूमधाम से किया जाता है
इतना ही नहीं प्रशासन की भी नजर दुर्गा पूजा में खासतौर पर रहता है कोशी क्षेत्र का पहला मेला सोनामुखी में लगता है जोकि बहुत दूर दराज से अदर जिला से भी दुकानदार अपने दुकान को मेला परिसर में ही लगाते हैं साथ ही कितने प्रकार के झूला व दुकाने लगते हैं!संध्या पूजा को लेकर महिलाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है माता की मूर्ति बनके तैयार हो गया है इस दौरान वहां की कुछ ग्रामीणों ने ने बताया कि सप्तमी पूजा एवं अष्टमी पूजा में महिलाओं की काफी ही संख्या में भीड़ लगती है खासतौर पर संध्या पूजा के दौरान अधिकतर महिलाएं की संख्या ज्यादा रहती है वहीं इस दौरान मंदिर पुजारी से बात करने में उन्होंने बताया कि संध्या पूजा को लेकर कोसी क्षेत्र से काफी संख्या में माता एवं बहनों पहुंचती है और अपने मन्नतें पूरी होने पर माता रानी के दरबार में चढ़ावा चढ़ाते हैं साथ ही दशमी के दिन माता रानी को खोता देने के लिए उमड़ती है भीड़ वहीं प्रशासन भी मुस्तैद नजर आया
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