गयाजी से (आशीष कुमार)
गयाजी। बीते मंगलवार की सुबह सरपंच और पुलिस वालों के बीच हुई मारपीट की घटना में बुधवार को मुफस्सिल पुलिस ने एसआई अशोक कुमार के आवेदन पर एफआईआर दर्ज कर लिया। केस सरपंच के अलावा 12 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है। एसआई का आरोप है कि वे बालू माफिया को सूचना देने वालों की तलाश में मंझोली गए थे। मंझोली के निकट एक व्यक्ति से नाम पता पूछे जाने पर वह भड़क गया। मोबाइल देने और उसका लॉक खोलने से मना कर दिया। इस बात को लेकर कहासुनी होने लगी। इसी बीच सरपंच दीपू यादव के आदमी व गांव के अन्य लोग जुट गए। मौके पर मारपीट की स्थिति उत्पन्न हो गई। हमारे पुलिस कर्मियों को मारपीट के दौरान चोट भी आई है। एसआई का कहना है कि सुरक्षा के ख्याल से हमने होलेस्टर से अपनी रिवाल्वर बाहर निकाल लिया तो हमला करने वाले लोग भाग गए। वहीं दूसरी ओर सरपंच ने पुलिस द्वारा केस दर्ज किए जाने के बाद मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने पूरी घटना कैसे और क्यों हुई। इस बात की जानकारी विस्तार से दी। इसके अलावा घटना के वक्त मौजूद लोगों व सरपंच के सहयोगियों ने भी घटना के बारे में बताया। सरपंच ने कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते लोगों से मिलने के लिए सुबह शाम अपने ऑफिस के बाहर बैठते हैं। यहीं क्षेत्र के लोग अपनी अपनी समस्या लेकर आते हैं। मंगलवार की सुबह करीब आठ बजे पुलिस की गाड़ी आई। उसमें से कुछ पुलिस वाले उतरे और हमें पकड़ कर जबरन गाड़ी में बैठाने लगे। इस पर जब हमने पूछा कि क्या बात हो गई तो उन्होंने कहा कि बालू माफिया को तुम लोग पुलिस के आने की सूचना देते हो। इस पर हमने कहा कि हम बालू माफिया नहीं हैं। हम सरपंच हैं। बालू से न तो हमारा कोई नाता था और न है। लेकिन वे नहीं माने। मौके पर मौजूद लोग भी हमारे पक्ष में बात रखने लगे। इसी बीच कहासुनी होने लगी। गांव के लोग भी जुट गए। सभी ने कहा कि यदि सरपंच बालू माफिया है तो उसका क्या प्रमाण है। इस बात लो लेकर काफी कहासुनी होने लगी। एसआई जबरन हमें गाड़ी में बिठाने लगे। हमने व हमारे साथियों ने इसका विरोध किया। हमारे तरफ से कोई मारपीट की घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि बालू के कारोबार से मेरा दूर दूर तक नाता नहीं है। पुलिस प्रशासन एसआई द्वारा लगाए गए आरोप को तथ्य के साथ साबित कर देती है तो हम उसकी हर एक सजा भुगतने को तैयार हैं। यदि जांच में हम दोषी नहीं पाए जाते हैं तो तत्काल एसआई, अन्य पुलिस कर्मी और बिना वर्दी के आये चालक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम मुफस्सिल पुलिस के खिलाफ बड़े अधिकारियों के पास जाएंगे। इससे भी बात नही बनी तो हम और हमारे क्षेत्र के लोग आंदोलन का सहारा लेंगे। वहीं दिनेश यादव ने कहा कि घटना होने से 15 मिनट पहले सरपंच के पास पहुंचे थे। पुलिस जबरन सरपंच को उठा कर ले जाना चाह रही थी। सरपंच जनप्रतिनिधि है। उसे तो थाने में बुलाकर पूछताछ करना चाहिए था। न कि सरेराह जबरन कॉलर में हाथ लगा कर गाड़ी में बिठाने की कोशिश की जानी चाहिए थी। वहीं घटना के समय मौजूद गोमल यादव का कहना है कि हमलोगों के सामने से एक पुलिस की गाड़ी गुजरी। कुछ दूर जाने के बाद वह वापस आने लगी। इस पर हमने सरपंच दीपू यादव से कहा कि वे लोग वीडियो बनाते हुए यहां आ रहे हैं। हमलोग भी वीडियो बनाते हैं। हमलोगों ने वीडियो बनना शुरू किया तो पुलिस वाले भड़क गए। यहीं से बात बिगड़ने लगी। सरपंच को बालू माफिया कहने लगे। जबरन गाड़ी में बिठाने लगे। इसी दौरान सरपंच व हमलोगों ने अपनी बात रखने लगे तो ओर भड़क गए। बस इतनी से बात थी और उलटा वे मारपीट के अलावा तमाम तरह के आरोप लगा रहे हैं। सरपंच दीपू यादव ने कहा कि हमारे पास पूरी घटना का वीडियो है। पुलिस द्वारा जो वीडियो मीडिया में दिया गया है वह केवल 8 सेकंड का है जिसमें वह साबित करना चाह रहे कि हमने उनका कॉलर पकड़ा है जबकि हम अपना कॉलर छुड़ा रहे हैं। वीडियो में यह भी साफ दिख रहा है कि पुलिस की गाड़ी का चालक गले से चेन व मोबाइल अपने किसी परिचित को दे रहा है और उल्टा आरोप लगाया जा रहा है कि छीन लिया गया।