फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट
कटिहार:रमजान के आखिरी 10 दिनों में एक रात ऐसी भी आती है जो हजार महीनों की रातों से अफजल यानी बेहतर है। इस रात को शब-ए-कद्र कहते हैं।ये बातें मुफ्ती रिजवान ने कही। उन्होंने दीनी किताबों के हवाले से बताया कि शब-ए-कद्र की रात हजार महीनों से बेहतर है यानी हजार महीना इबादत करने का जिस कदर सवाब मिलता है उससे ज्यादा शब-ए- कद्र में सवाब मिलता है।
इस रात फरिश्ते उतरते हैं। उन्होंने कहा कि खुश नसीब है वह शख्स जिसको इस रात की इबादत नसीब हो जाए। जो आदमी इस एक रात को इबादत में गुजार दे गोया उसने 83 साल 4 माह से ज्यादा वक्त इबादत में गुजार दिया।नबी करीम ने फरमाया है शब-ए-कद्र अल्लाह ने सिर्फ मेरी उम्मत को आता की है। यह रात पहली उम्मतों को नहीं मिली। जो जो शख्स ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत करे उसके पिछले सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।शब-ए-कद्र की रात हजरत जिब्रील फरिश्तों की एक जमात के साथ उतरते हैं और उस शख्स के लिए जो खड़े होकर या बैठकर अल्लाह का जिक्र और इबादत में मशगूल होते हैं उनके लिए रहमत की दुआ करते हैं। हदीस में है नबी करीम ने फरमाया यह महीना आ चुका है
जिसमें एक रात ऐसी है जो हजार महीनों से अफजल है जो इस रात से महरूम रह गया गोया वह सारी भलाई से महरूम रह गया। हजरत आयशा से मरवी है नबी करीम ने फरमाया शब-ए-कद्र को ताक रातो में तलाश करो यानी रमजान के 21वीं 23वीं 25वीं 27वीं और 29वी रात को तलाशो। आगे उन्होंने बताया कि शब-ए-कद्र की रात सब की मगफिरत कर दी जाती है।सिवाए चार लोगों के पहला शराबी जो शराब पीता हो।दुसरा वालिदैन का नाफरमान जो अपने मां बाप का बात ना मानता हो।तीसरा वह शख्स जो रिश्तेदारी तोड़ने वाला हो।चोथा वह शख्स जो किना करने वाला जो किसी के बारे में बुरा सोचता हो।ऐसे चार लोगों की बख्शिश नहीं होती है।बांकी इस रात को सब की बख्शिश कर दी जाती है।



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