पूर्णियाँ / संवाददाता
पूर्णियां : बड़हरा कोठी। प्रखंड अंतर्गत सुखसेना गांव स्थित पुर्णियां जिला के एक मात्र संस्कृत महाविद्यालय में प्रशासनिक भवन का उद्घाटन, अमृत महोत्सव का उद्घाटन, जनप्रतिनिधियों के सम्मान एवं सेवानिवृत्त कर्मियों का विदाई समारोह पूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो डॉ श्रीपति त्रिपाठी उपस्थित हुए। सर्वप्रथम कुलानुशासक के महाविद्यालय पहुंचते ही डॉ उपेंद्र नाथ झा के नेतृत्व में कॉलेज के शिक्षकों द्वारा विशिष्ट अतिथि का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में प्रो डॉ देवचरण प्रसाद द्वारा मंगलाचरण के बाद कार्यक्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया तथा डॉ निर्मल कुमार झा द्वारा गणेश बंदना के साथ कुलानुशासक का स्वागत किया गया
कुलानुशासक प्रो डॉ श्रीपति त्रिपाठी द्वारा महाविद्यालय के प्रशासनिक भवन का उद्घाटन कर तथा आजादी के 75 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव का आगाज किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य सह विश्वविद्यालय के सीसीडीसी डॉ विजय कुमार मिश्र ने महाविद्यालय के गौरवशाली विरासत की चर्चा करते हुए बीमारी के कारण कार्यक्रम में कुलपति के नही पहुँचपाने पर खेद प्रकट करते हुए कुलपति के जल्द स्वस्थ्य होने का कामना किया।इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलानुशासक प्रो डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने कहा कि इस गांव की जो ख्याति रही है वह शायद ही किसी दूसरे गांव का रहा हो। इस गांव की ख्याति के कारण ही यहां महाविद्यालय भी है
अमृत महोत्सव के संबंध में उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री का आदेश है कि इस महोत्सव को सालोभर मनाए। उन्होंने अनुरोध किया कि अमृत महित्सव के अवसर पर छोटे छोटे कार्यक्रम का आयोजन कर आने वाली पीढ़ी को अपनी विरासत के बारे में बताएं। संस्कृत की महत्ता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत में जितना रोजगार है व किसी मे नही है। हम संस्कृत का अध्ययन करें तो रोजगार की कमी नही है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील किया कि संस्कृत के उत्थान के लिए अपना अपना योगदान दें। प्रशासनिक भवन का उद्घाटन तथा अमृत महोत्सव के शुभारंभ के बाद प्रतिनिधियों का सम्मान तथा सेवा निवृत्त कर्मियों के विदाई का दौड़ शुरू हुआ। सम्मान समारोह में सर्वप्रथम सुखसेना पश्चिम पंचायत के सरपंच विनोदानंद झा एवं मुखिया जीवन कुमार झा को कुलानुशासक प्रो दो श्रीपति त्रिपाठी द्वारा माला, पाग एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया
वही सुखसेना पुर्व के मुखिया श्री मति सरिता देवी को कालेज के महिलाकर्मी विमला किरण द्वारा पाग, माला एवं अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। विदाई समारोह में प्रो डॉ देवचरन प्रसाद ने सेवा निवृत्त पूर्व प्रधानाचार्य प्रो डॉ उपेंद्र नाथ झा की योगदान की सराहना की। विदाई कार्यक्रम को रुंधे गले से संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य सह विश्वविद्यालय के सीसीडीसी डॉ विजय कुमार मिश्र ने डॉ उपेंद्र नाथ झा एवं अशोक कुमार झा के कार्यों एवं प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जब भी महाविद्यालय को आपके योगदान की आवश्यकता हो आप दोनों सदा उपलब्ध रहने की कृपा करेंगे। प्रधानाचार्य ने दोनों सेवानिवृत्त कर्मियों के सुंदर स्वास्थ्य का कामना किया
इस मौके पर डॉ उपेंद्र नाथ झा ने कहा कि इस पर ना तो हर्ष करना है और ना विषाद। उन्होंने कहा कि आप सबों के आशीर्वाद से ही मैं सेवा कर सका। उन्होंने कुलानुशासक तथा कुलपति के सम्मान में स्वरचित रचना की प्रस्तुति भी दिया। उन्होंने कुलानुशासक श्री त्रिपाठी को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में इस महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व आपने ही किया। आपके प्रतिनिधित्व के कारण ही मेरा कार्यकाल निसंकट रहा। उन्होंने कहा कि मैं कहीं भी रहूं बुलाएंगे तो जरूर आयउँग
इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो दो श्रीपति त्रिपाठी, प्रधानाचार्य सह सीसीडीसी डॉ विजय कुमार मिश्र, नोडल पदाधिकारी ब्रजेश पाठक, प्रभारी प्रधानाचार्य अमर नाथ मिश्र, सेवा निवृत्त पूर्व प्रधानाचार्य डॉ उपेंद्र नाथ झा, पूर्व प्रधानाचार्य अर्जुन झा, सेवानिवृत्त कर्मी अशोक कुमार झा,प्रमोद झा,सरस्वती रमन, मुखिया जीवन कुमार झा, मुखिया सरिता देवी, सरपंच विनोदानंद झा, बीरेंद्र झा, सहित महाविद्यालय के अन्यकर्मी एवं सेकड़ो ग्रामीण उपस्थित हुए।
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