मुरलीगंज में सरकारी राशन का धांधली काफी धड़ल्ले से हो रहा है।
मुरलीगंज /सिटी हलचल न्यूज़
मधेपुरा : मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों सरकारी राशन का धांधली काफी धड़ल्ले से हो रहा है। पीडीएस विक्रेता और व्यापारी के मिलीभगत से गरीब लोगों के अनाज को बाजार में बेच दिया जाता है। ताजा मामला मुरलीगंज से आई है। नगर पंचायत के वार्ड चार में बीते शनिवार की देर रात प्रशासन की टीम ने गुप्त सूचना पर एक व्यक्ति के गोदाम पर छापेमारी कर पंद्रह बोरा सरकारी अनुदानित चावल जब्त किया है। जांचोपरांत गोदाम मालिक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया गया। बताया गया कि शनिवार की देर रात गुप्त सूचना पर एमओ प्रभाष कुमार मंडल, सीओ किसलय कुमार और पुलिस पदाधिकारी ने नपं वार्ड चार निवासी शंकर पोद्दार के आवासीय घर स्थित गोदाम में छापेमारी किया। इस दौरान गोदाम में लगभग 60 से 70 बोड़ा चावल पाया
जिसको तत्काल जब्त किया गया। इस बीच मौका पाकर गोदाम मालिक फरार हो गया। रविवार को एमओ प्रभाष कुमार मंडल ने आस पास के डीलरों से चावल मंगाकर उक्त जब्त चावल का मिलान किया। जिसमें दो बोड़ा उसना और 13 बोड़ा अरवा चावल मिलान हुआ। जिसके बाद पंद्रह बोड़ा चावल को जब्त कर प्राथमिकी दर्ज के लिए रिपोर्ट बनाया। इस दौरान पुलिस पदाधिकारी इमनाज खान दल बल के साथ मौजूद रहे। एमओ प्रभाष कुमार मंडल ने कहा कि जांचोपरांत पंद्रह बोड़ा चावल सरकारी अनुदानित चावल प्रतीक हुआ है। जिसके आधार पर चावल जब्त कर कार्रवाई के लिए लिखा गया। वहीं जब्त चावल को निकटवर्ती पीडीएस विक्रेता महेश कुमार भगत के नॉमिनी बमशंकर साह को जिम्मेनामा पर दिया गया है। थानाध्यक्ष अजीत कुमार ने कहा कि एमओ द्वारा दिए गए रिपोर्ट के आधार पर उक्त व्यक्ति के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया है
बड़े पैमाने पर होता है सरकारी राशन का धांधली :
मुरलीगंज में सरकारी अनुदानित राशन का बड़े पैमाने पर धांधली चल रहा है। पीडीएस विक्रेता और निजी व्यापारी के सांठ गांठ से सरकारी राशि को शहर से दूर बड़े मंडी में जा कर बेचा जा रहा है। कई लोगों ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि पीडीएस विक्रेता गरीब लोगों को दी जाने वाली राशन को कम वजन में दे देते हैं। उसके बाद पीडीएस विक्रेता वही चावल को निजी व्यापारी को महंगे दामों में बेच देते हैं। इन लोगों का काफी लंबा सिंडिकेट चल रहा है। पीडीएस विक्रेता छोटे व्यापारी को बेचते हैं, उनसे बड़े व्यापारी खरीद करते हैं। फिर यहां से राशन गुलाब बाग या अन्य मंडी ले जा कर बेच दी जाती है। लेकिन प्रशासन को भनक तक भी नहीं लगती है। यही कारण है कि असली कारोबारियों तक प्रशासन नहीं पहुंच पाती है।