अमौर/सनोज
पूर्णियां। अमौर प्रखंड क्षेत्र के पोठिया गंगेली पंचायत के लोगों की जिंदगी चचरी पूल के सहारे कट रही है। इससे लोगों को हमेशा खतरे की आशंका बनी रहती है। चचरी पुल से आवागमन होने के कारण लोगो को खतरा का आशंका बना रहता है। पोठिया घाट पर परमान नदी पर पुल का निर्माण कार्य नही होने से लोगो द्वारा चचरी के सहारे आवागमन कर रहे हैं। हालाकि इस नदी से प्रभावित अधिकतर गांव में जाने के लिए चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है। इस कारण से पोठिया, गंगेली, पाणपुर सहित अन्य गांव की विकास की नईया डूबी हुई है। इन गांव की एक बड़ी आबादी आज भी चचरी पुल के सहारे चल रही है। इस क्षेत्र के लोग आज भी चचरी पुल के सहारे पर चलने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों की माने तो जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे का भरोसा दिलाकर भोली-भाली जनता से वोट बटोरकर ले जाते हैं। चुनाव बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा इन इलाकों का दौरा भी दुर्लभ हो जाता है
मुखिया राजेश कुमार सहित स्थानीय ग्रामीण मोहन विश्वास, लोकेश विश्वास, कमल कुमार, देबू विश्वास देवेश कुमार सहित अन्य ने बताया कि मेरी पूरी पूरी जिंदगी नावों, चचरी पुलों के सहारे खत्म हो गई। गांवों की इस हालत से जनप्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन को अवगत कराने के लिए बार-बार ग्रामीणों के साथ सामूहिक आवेदन दिया गया, पर इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। परमान नदी के दोनों पार चार से सात हजार की आबादी गुजर बसर कर रही है।वही ग्रामीणों ने बताया कि पोठिया गांव में अब तक पुल नहीं बनने से चचरी पुल के सहारे लोग जान जोखिम में डालकर पार करने को मजबूर हैं। बाढ़ के समय में चचरी पुल भी काम नहीं आता है। तब लोग नाव एवं थंब के सहारे आवागमन करते हैं। लगभग 6 महीने चचरी पुल ही लोगों के आवागमन का साधन है,जो 50 से 60 हजार खर्च कर एक सौ फिट चाचरी पुल का निर्माण कर आवागमन करते है
इस नदी से कई पंचायत पोठिया गंगेली, विष्णुपुर, तियारपाड़ा आदि के दर्जनों गांव के लोग रोज आना जाना होता है। खासकर पोठिया गंगेली पंचायत के लोग प्रखंड मुख्यालय एवं जिला मुख्यालय जाने का यह एक सीधा एवं मुख्य रास्ता है। यह पुल अगर बन जाता है तो लोगों को तरोना , सहनगांव होकर घूमकर नहीं जाना होगा, जिससे लगभग 6 किलोमीटर की बचत होगी। ग्रामीणों ने बताया कि नदी पर पुल नहीं बनने से लोगों के आवागमन का मुख्य साधन चचरी पुल ही है। ग्रामीणों ने बताया कि हर साल ग्रामीण चंदा इकड़ा कर 100 फीट लंबे चचरी पुल का निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि चचरी पुल के निर्माण में 50 हजार की राशि खर्च होती है। बरसात के बाद ग्रामीण अपने स्तर से पैसे का जुगाड़ कर चंदा इकट्ठा कर बांस का चचरी पुल किसी तरह से तैयार कर जैसे तैसे आवागमन करते हैं। लोगों ने दर्जनों बार विधायक और सांसद से पुल निर्माण की गुहार लगाई है पर आज तक लोगों को सिर्फ भरोसा ही मिलता आया है। ग्रामीणों का अब वह भरोसा डगमाने लगे हैं।