ऐक्टू के बैनर तले निर्माण मजदूरों की हुई बैठक



नौ अगस्त को जिला मुख्यालय में मजदूरों का संयुक्त आंदोलन करने का ऐलान।

मुरलीगंज मधेपुरा 


प्रखंड वृन्दावन गाँव में रविवार को एआईसीसीटीयू (ऐक्टू) के बैनर तले निर्माण मजदूरों की बैठक हुई। आयोजित बैठक की अध्यक्षता कॉमरेड उमेश दास ने किया। इस दौरान कहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी ताना शाही, मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ तथा लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए एआईसीसीटीयू के आह्वान पर 25 जुलाई से नौ अगस्त तक 15 दिवसीय देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। नौ अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन के दिन देश व्यापी प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए निर्माण मजदूरों की बैठक किया गया।  ऐक्टू के जिला सचिव कॉमरेड रामचंद्र दास ने मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि अल्प मत में होने के बावजूद मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार कोई सबक नहीं सीखा है। और वह अहंकार के साथ तीव्र गति से उदारीकरण और मजदूर विरोधी जनविरोधी नीतियों को लागू करती जा रही है। सरकार ने श्रम संहिताओं सहित अपनी मजदूर विरोधी नीतियों को बिना किसी रोक टोक के लागू करने के सारे संकेत दे दिए है।जिसका उदेश कॉरपोरेट के लिए"व्यापार करने में आसानी" सुनिश्चित करना है। श्रम संहिताओं को लागू करके मोदी मेहनतकश लोगों के लिए "जीवन जीने में आसानी" को नकार रहे है। मोदी एनडीए के सत्ता में आने के बाद मजदूर वर्ग पर नवीनतम हमला यह हुआ की भविष्य निधि जमा न करने वाले मालिको के लिये जुर्माने में भारी कटौती कर दी गई। ताकि कॉरपोरेट घरानों द्वारा जनता के मेहनत की कमाई को लुटा जा सके।


सामाजिक सुरक्षा की अवधारणा को उलट पुलट कर दिया गया है। और इसका बोझ श्रमिको के कंधो पर डाल दिया गया है।निश्चित अवधि रोजगार और संविदाकरण ने नियमितिकरण को मृग तृष्णा में बदल दिया है। मूल्य वृद्धि से जुड़ी न्यूनतम मजदूरी की अवधारणा को नाम मात्र की फ्लोर लेबल मजदूरी में बदल दिया गया है। और इसे जीवन यापन योग्य मजदूरी के झूठे रूप में पेश किया जा रहा है। मौजूदा आपराधिक न्याय प्रणाली को खत्म करने के साथ ही ऑपनिवेसिक काल से भी बदतर  आपराधिक कानून व्यवस्था लोगों पर थोपी जा रही है। लोगों के मौलिक आधिकारो को दरकिनार किया जा रहा है। इस साल 1 जुलाई से नए अपराधिक कानून लागू हो गए है, जो वैध विरोधों को भी अवैध बना रहे है और मजदूरों से उनके विरोध के अधिकार को बेरहमी से छीन रहे है। उदारीकरण और निजीकरण के शासन के खिलाफ असहमति और विरोध को खत्म करने के लिए नए आपराधिक कानून ले जा रहे है। तीन नए आपराधिक कानूनों और चार श्रम संहिताओं का संयोजन कामगारों के अधिकारों और समग्र रूप से मजदूर वर्ग आंदोलन के लिए घातक साबित होगा। ऐसे में देश के मजदूर वर्ग को आंदोलन के लिए तैयार होना होगा।

मोदी सरकार की तरह बिहार की नीतीश 

एनडीए की सरकार ने भी मजदूरों पर हमले तेज कर दिए है। निर्माण श्रमिको सहित सभी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा विमा में कटौती को जा रही है। विद्यालय रसोइया, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित अन्य स्कीम वर्कर्स की जायज मांगों को बेवजह तल रही है । सफाई मजदूर सहित अन्य ठेका मजदूरों का नियमितिकरण नही किया जा रहा है।समग्रता एन में मजदूर वर्ग के अधिकारों को कुचला जा रहा है। जुझारू आंदोलन के जरिए राज्य की नीतीश सरकार की कमर तोड दी जानी चाहिए। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एआईसीसीटीयू ने मजदूर के ज्वलंत मुद्दों पर नौ अगस्त को जिला में मजदूरों का संयुक्त आंदोलन करने का ऐलान क्या है। बैठक में फुलो कुमारी, उमेश दास, सौरव कुमार, मुन्नी देवी, संजू देवी, बुद्धसेन दास, रेखा देवी, विंदुला देवी, मंटू, पूनम, गुड़िया देवी, शोभा देवी, राजकिशोर सहित काफी संख्या में निर्माण मजदूर भाग लिए।

Post a Comment

Previous Post Next Post