कटिहार /ए डी ख़ुशबू
कटिहार :- यह वही प्रेम है जिसके बारे में कहा गया है कि ' प्रेम न बाड़ी उपजै, प्रेम न हाट बिकाय। संकेतों की भाषा है प्यार और फरवरी के इस महीने का दस्तक देते ही सभी इस पल को सहेजने और अपने महबूब के साथ फिर एक बार मिलने के लिए बेकरार हो जाते हैं। भारतीय समाज में पश्चिमी सभ्यता संस्कृति के रंग तो दिखने लगे हैं। गांव के युवा दिलों में भी फिल्मी तर्ज पर प्यार के तराने गूंजने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी युवक-युवतियों के दिलों में वैलेंटाइन डे सिर चढ़कर बोलने लगा है। युवक युवतियां भी 14 फरवरी को बेसब्री से इंतजार करने लगें है। भला इंतजार क्यों ना हो क्योंकि इस दिन अपने अपने हमसफर से दिलों की बातें करने का मौका जो मिलता है। चौदह फरवरी के पहले सात फरवरी को रोज डे मनाया गया
और आठ फरवरी को प्रपोज डे तथा चौदह फरवरी आज मंगलवार को वेलेंटाइन डे है। ऐसे में अगर हाथ में गुलाब लाल या गुलाबी हो तो इसका महत्व और बढ़ जाता है। 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के रुप में प्यार के त्योहार के लिये तय किया गया है , क्योंकि यही वह पुरअसर वक्त है , जब विभिन प्रकार के नर मादा परिन्दे शारिरिक सम्बंध स्थापित करते है। यही वह वक्त है जब धरती के समस्त प्राणियों में भी प्रेम लबालब भर जाता है। कहते हैं न इश्क पर कितने भी पहरे क्यों न बिठा दिये जाये , वह अपनी मंजिल पा ही लेती है। क्योंकि प्रेम एक ऐसा जज्बा है , एक ऐसी भावना है
जो इंसान में जीने की ललक बनाए रखता है। प्रेम जीवन है , सौन्दर्य है , प्रकाश है , इबादत है , पीड़ा है , तुफान है , तड़प है ... 14 फरवरी , यानी वैलेंटाइन डे जिसका सभी प्रेमी युगलों को पूरे साल तक इंतजार करना पड़ता है। बहरहाल कोढ़ा प्रखंड में भी प्रेमी युगल इस दिन का इंतजार करते हैं। यहां के बाजारों में रोज डे के ही दिन से ही उपहार सामग्री की बिक्री होने लगते हैं। कितने प्रेमी युगल जोड़ी तो अपने परिजनों के डर से पहले ही उपहार सामग्री अपने प्रेमी प्रेमिका को पहले ही भेज देते हैं।
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