पूर्णिया/सिटीहलचल न्यूज़
शनिवार को जिला पदाधिकारी राहुल कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में आई.सी.डी.एस. की समीक्षा बैठक की गई। इस बैठक में सिविल सर्जन, डी.पी.ओ. आई.सी.डी.एस., सभी सी.डी.पी.ओ. एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
पूर्णिया जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 1351 मशीन है। जिनसे 3427 केन्द्रों के बच्चों का वजन मापा जाता है। पूर्णिया पूर्व के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 210 मशीन तथा 20460 बच्चें, बी0कोठी प्रखंड के केन्द्रों में 12628 बच्चें, भवानीपुर में 173 केन्द्रों में 138 मशीन तथा 11 प्रतिशत अंदरवेट बच्चें है।पूर्णिया जिले में 40 प्रतिशत आंगनबाड़ी केन्द्र अपने जमीन पर बने है। जिसमें शौचालय एवं अन्य सुविधाए दी जा सकती है। पूर्णिया जिला चौथे स्थान पर है। प्रिग्नेंट वोमेन को एच.आर. 100 प्रतिशत हो गया है। एम.एस.डी.पी. के तहत् के0नगर प्रखंड में 17-18 अपूर्ण केन्द्रों पर आंगनबाड़ी केन्द्र चलाये जा रहे है, जिसे शिफ्ट कर आंगनबाड़ी केन्द्रों के जमीन को अतिक्रमन मुक्त कराने का निर्देश दिया गया। सभी केन्द्रों का निरीक्षण करे एक माह छुट जाए तो अगले महिने उसे जरूर कवर करे।
जिले के सभी एल.एस. एवं आशा कर्मियों को अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों में अन्नप्रशन दिवस पर रहने का निर्देश दिया गया। प्रत्येक माह के 19 तारिख को आंगनबाड़ी केन्द्रों में अन्नप्रशन दिवस मनाया जाता है। जिसमें 4 से 6 माह के सभी बच्चों का अन्नप्रसन होता है।प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना में 60.57 प्रतिशत हुआ है। बैसा में 38.67 प्रतिशत, धमदाहा में 38 प्रतिशत, श्रीनगर में 97.4 प्रतिशत, पूर्णिया पूर्व में 93.44 प्रतिशत तथा सबसे कम बनमनखी में 32ण.66, प्रतिशत हुआ है। 0-6 माह के सभी बच्चों की वृद्धि निगरानी, (वनज, उचाई/लम्बाई की माप) कर पोषण ट्रैकर एप पर अपलोड करना है।
गॉव व पंचायत स्तर पर संबंधित विभाग एवं स्वयं सेवी संगठन के द्वारा जागरूकता कैम्प व समुदाय आधारित गतिविधियों का आयोजन करना है। जल संरक्षण में महिलाओं की भूमिका हेतु समुदाय स्तर पर प्रचार-प्रसार करना है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में संरचना विकसित करना है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से जिला/प्रखंड/पंचायत/ग्राम स्तर पर अनीमिया कैम्प का आयोजन एवं प्थ्। की गोली का वितरण करना है। आयूष विभाग के सहयोग से चयनित आंगनबाड़ी केन्द्रों के सभी समुदाय व पोषक क्षेत्र में अनीमिया से बचाव हेतु बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को आयूष पोषण किट का वितरण करना है। स्थानीय व पारंपरिक पोषक युक्त भोजन पर वेवनार/सेमिनार का आयोजन करना है। जिला/प्रखंड स्तर पर रेसिपी प्रतियोगिता/मदर किचेन प्रतियोगिता का आयोजन करना है।
स्थानीय व पारंपरिक पोषक युक्त भोजन के माध्यम से आहार विविधता के प्रचार-प्रसार हेतु विशेष ग्राम पंचायत एवं पोषण पंचायत का आयोजन करना है। मॉ और बच्चें के लिए पोषण युक्त स्थानीय व पारंपरिक रेसिपी की पहचान, प्रचार-प्रसार करना है। साथ ही पोषण युक्त स्थानीय व पारंपरिक रेसिपी का प्रचार-प्रसार करना है। स्थानीय व वहन करने योग्य पोषण युक्त खाद्य पदार्थ के प्रति जागरूकता लाना है। क्षेत्र विशेष 5 सर्वोतम रेसिपी का संलेखन करना है। पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों का समेकन प्रतिवेदन निदेशालय को उपलब्ध कराना है।