पूर्णियां/राजेश यादव
बिहार पुलिस मुख्यालय में थाना में आने वालों दलालों पर अब लगाम लगाना शुरू कर दिया है। पहले दलाल दिनभर थाने में मंडराते रहते थे और थाना आने वाले लोगो को काम कराने के एवज में मोटी रकम वसूला करते थे। या यूं कहे कि थाने वाले ही अपने सहूलियत के लिए ऐसे लोगो को रखा करते है। मगर अब पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर थाना में आने वाले आगुंतकों का पूरा विवरण रखा जाएगा। थाना में आने से पहले उन्हें अपना नाम पता, मोबाइल नंबर और थाना आने का कारण भी लिखना होगा। वही थाने में दर्ज विवरण का सत्यापन डीएसपी, एसडीपीओ स्तर के अधिकारी करेंगे, साथ ही इस बात की जानकारी लेंगे की थाने आने पर उनके साथ किस तरह का सलूक किया गया था, जिस काम के लिए आये थे वह हुआ या नहीं? इसको लेकर पूर्णियां के सभी थानों में पुलिस मुख्यालय के आदेशों का पालन शुरू हो गया हैं। साथ ही बिहार के सभी जिलों में भी इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने दिए है। पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है कि किसी-किसी थाना में एक ही व्यक्ति के बार-बार थाना परिसर में आने-जाने की सूचना कतिपय स्त्रोतों से प्राप्त हुई है। ऐसे व्यक्तियों का थाना में आने-जाने का कोई स्पष्ट उद्देश्य अक्सर परिलक्षित नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति कथित रूप से थाना का दलाल बताये जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के थाना में आने-जाने से आम लोगों में पुलिस की छवि धूमिल होती है। पुलिस प्रशासन की प्रभावकारिता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
पुलिस मुख्यालय को हर माह भेजना हैं रिपोर्ट
थाना में आने वाले आगंतु रजिस्टर का निरीक्षण वरीय पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक/अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी / पुलिस उपाधीक्षक/अंचल पुलिस निरीक्षक थाना भ्रमण के दौरान ये सभी अधिकारी करेंगे। रजिस्टर में अंकित नंबर से उस ब्यक्ति से बात भी करने के निर्देश दिए गए है ताकि रजिस्टर में अंकित नाम पता और काम का सत्यापन हो सकें। इसके अलावे थाना परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे का भी वे अवलोकन करेंगे और संदिग्ध गतिविधि देख, उस ब्यक्ति के थाने में आने का कारण थानाध्यक्ष से पूछेंगे और उसका रजिस्टर में दर्ज नाम पते का मिलान करेंगे थाना आने वाले का नाम दर्ज करने के लिए नोडल पदाधिकारी नियुक्त बिहार के प्रत्येक थाने में एक स०अ०नि० / अ०नि० स्तर के पदाधिकारी को इसके लिये नोडल पदाधिकारी नामित किया गया है। ये नोडल अधिकारी थाना आने वालों का नाम दर्ज करने के अलावे आवेदन लिखने के लिए मुफ्त कागजात भी उपलब्ध कराएंगे और आवेदन लिखने में मदद भी करेंगे। साप्ताहिक प्रतिवेदन दिया जायेगा।पुलिस महानिदेशक बिहार ने ऐसा न करने वाले अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्यावाई के भी निर्देश दिए है
पहल अच्छी मगर भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा
पुलिस महानिदेशक द्वारा दिये आदेश के संबंध में पूर्णियां व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता सह आरटीआई कार्यकर्ता गौतम वर्मा का कहना हैं कि बिहार डीजीपी का यह पहल सराहनीय हैं। पहले गरीब लोगों को थाने से भगा दिया जाता था, कम से कम अब यह नहीं होगा। मगर इससे भ्रष्टाचार कम नहीं होगा। क्योंकि थानेवालो ने अपने अपने दलाल को रखा हुआ है जो पैसे का लेनदेन करते हैं। वही उन्होंने कहा कि थाने के निगरानी के लिए जिस स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है, वे खुद भ्रष्टाचार में लिप्त रहते है। पूर्णियां के कई दरोगा और एसपी को विजिलेंस गिरफ्तार कर चुकी हैं।