मीरगंज/रौशन राही
पूर्णिया। ईमानदारी कर्तव्य निष्ठता सरल स्वभाव व सबसे ईमानदार महान स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्वी केंद्रीय मंत्री तथा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी के आदर्शो को लोग़ आज भूलने लगे हैं । ज्ञात हो कि धमदाहा प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय चम्पावती स्थित मुख्य द्वार पर पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिमा वर्ष 2004 में मनाई गई थी । परंतु पंचायत स्तर के प्रतिनिधि द्वारा रख रखाव के अभाव के कारण आज भोला पासवान शास्त्री जी की प्रतिमा स्थल नारकीय अवस्था में तब्दील हो गई है । स्वर्गीय भोला पासवान जी की का प्रतिमा का आलम यह कि जन्मतिथि एवं पुण्यतिथि के अवसर पर या राष्ट्रीय पर्व पर जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक पदाधिकारी द्वारा न तो माल्यार्पण करना उचित समझते हैं
न ही उनके आदर्शो को याद करना चाहते हैं । अब तो प्रतिमा के पास शाम के समय असामाजिक युवक शराबी स्मैकरो का जमवाड़ा होने लगा है जो प्रतिमा स्थल के इर्द गिर्द गंदगी फैलाता है । लेकिन इसका सुधी लेने के लिए जनप्रतिनिधि को फुरसत नहीं है । जानकारी के मुताबिक 20 सितंबर 1914 में धमदाहा विधानसभा क्षेत्र के0नगर अंतर्गत बैरगाछी गांव महादलित परिवार में जन्मे भोला पासवान शास्त्री महान विद्वान व सच्चे क्रांतिकारी थे , जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इस दौरान उन्हें जेल की हवा भी अंग्रेजों ने खिलाई थीं महात्मा गांधी के मूल विचारों पर स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे तथा अंग्रेजों के खिलाफ जमकर आवाज बुलंद किए थे
संघर्ष और बलिदान के बाद जब देश आजाद हुआ तब उन्हें देश और राज्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी सौंपी जिसको उन्होंने ईमानदारी के साथ निभाई केंद्र सरकार में उसे मंत्री बनाया गया तथा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने सेवा एवं सादगी का आलम यह रहा उन्होंने अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं किया आज भी उनके परिवार के लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी करने के लिए जाते हैं तथा अपना पेट पालते हैं तीन बार बिहार के नेतृत्व कर चुके शास्त्री जी कभी भी अपने पद का उपयोग अपने निजी जीवन में नहीं किया लेकिन ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी सह पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान जी कि प्रतिमा से अपेक्षा चिंता का विषय बना हुआ है ।