आधुनिक युग मे भौतिकवादी विचारधारा के कारण चाइनिज बल्बो के आगे कुम्हारों की चाक धीरे-धीरे धीमी होती जा रही है। सरकार की लाख घोषणाओ के बावजूद भी कुम्हारो के चाक की रफ्तार आगे नही बढ़ रही हैं। पारम्परिक रूप से सदियों से दीपावली में लोग घरों की सजावट और मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए मिट्टी से बने दिये का इस्तेमाल करते था और वर्तमान परिवेश में ईसकी जगह चाइनिज बल्बो ने लेली है। लोग नाम मात्र के पांच दिये मां लक्ष्मी के आगे जलाते है। घर की पूरी सजावट चाइनिज बल्बो से करने लगे है। कुरसेला हाट में दुकान लगाए हुए कुम्हारों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि एक जमाना था जब बड़े घरों से पांच सौ दिये के ऑर्डर मिला करते थे और अब तो पांच दिये काफी है। तत्कालिन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुम्हारो के चाक की रफ्तार बढ़ाने के लिए रेलवेे के सभी टी-स्टॉल पर कुल्हर में चाय बेचने की हिदायत दी थी लेकिन बदलते परिवेश के साथ यह घोषणा भी सिर्फ घोषणा ही रह गयी। हाल मे बिहार सरकार प्लास्टिक पर पूर्ण पाबंदी लगाने की तैयारी में है। दूर्गा पूजा के सम्पन्न होते ही दीपावली की तैयारी को लेकर कुम्हारों ने अपने परिवार के साथ दीये बनाने की शुरुआत कर दिया है। सामने दीपावली का त्योहार है और दिये बनाने कि होर भी है पर कुम्हारो को निर्माण के अनुसार खरीददार नहीं मिल रहे है। जिससे कुम्हारो में मायूसी दिख रही है
क्या कहते है कुम्हार
कुरसेला प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत दक्षिणी मुरादपुर पंचायत के तीनघड़िया गांव के बलराम पंडित,अर्जुन पंडित,छोटेलाल पंडित,दिनेश पंडित कहते है कि मंहगाई की मार और पूस्तेनी कारोबार से पेट नही भरता है। बाप-दादा की पूस्तैनी कारोबार को जिवित रखना भी अब काफी मुश्किल भरा महसूस हो रहा है।एक जमाना था जब दीपावली या कोई अन्य पर्व आता था तो मिट्टी से बने बर्तनो का ऑर्डर मिलता था पर अब तो शादी विवाह के अवसर पर भी ऑर्डर नहीं मिलता है। हमलोगो को रोजी रोटी की तलाश में दूसरे राज्य जाना पड़ता है।कुम्हार परिवार कहते हैं कि सरकार जिस तरह शराब पर पाबंदी लगा रही है उसी तरह चाइनिज बल्बो पर भी पाबंदी लगाने की जरूरत है। मंहगाई की मार ने हमलोगों की कमर तोड़ दी है।
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