मनुष्य अपने हीं किये कर्मो का फल भोगता है:योगानंद परमहंस जी महाराज



मुरलीगंज/सिटिहलचल न्यूज़


मधेपुरा। प्रखंड स्तरीय संतमत सत्संग का दो दिवसीय बारहवां वार्षिक अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ। कोल्हायपट्टी डुमरिया पंचायत के संतनगर सत्संग आश्रम परिसर में शनिवार को वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ हुआ था।आयोजन में दूर दराज से आए सत्संग प्रेमियों के लिए दोनो दिन भंडारा की व्यवस्था करायी गई। साधु-संतो की अनमोल वचन और सत्संग भजन से गांव सहित आस पास का वातावरण भक्तिमय बना रहा। संतमत सत्संग के वार्षिक अधिवेशन में मुख्य प्रवचन कर्ता महर्षि योगानंद परमहंस जी महाराज ने अपने कोमल वाणी से श्रोताओ को वर्तमान और भविष्य के प्रति सजगता लाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन के कर्म का फल इसी जन्म में मिलता है। इसलिए हरेक मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए। परेशानी लाख हो लेकिन सत्य के मार्ग से भटकना नही चाहिए। इस दौरान महर्षि योगानंद परमहंस ने महाभारत, रामायण प्रसंग पर भी विचार व्यक्त किये।  जीवन के मूल उद्देश्य से सत्संग प्रेमियों को अवगत कराया। कहा कि मानव जीवन अनमोल है इसे व्यर्थ न गवाएं। उन्होंने कहा कि संतो के सानिध्य में आकर 


लोभ, मोह, भ्रम के माया जाल से मुक्ति संभव है। योगानंद जी ने वर्तमान स्थिति पर चिंता जाहिर किया। कहा आज हमारे युवा पीढ़ी विभिन्न नशीले पदार्थो के आघोष में आकर जीवन को नष्ट करने पर तुले हैं। सही दिशा नही मिलने के कारण अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। जिससे परिवार और समाज चिंतित है। घर परिवार में कलह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। योगानंद परमहंस जी महाराज ने कहा कि ज्ञान का घमंड और धन का अहंकार मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। 

वही स्वामी सुभाषानंद, स्वामी महानंद, स्वामी विन्देश्वरी, स्वामी अभिनंदन, स्वामी दयानंद बाबा सहित अन्य साधु संतो ने अनमोल वचन से मानवीय जीवन को सरल और सहज तरीके से सत्य मार्ग पर चलने का संदेश दिया। कहा कि आज घर-परिवार और समाज में आपसी समरसता की कमी आ गई है। लोग अधिक से अधिक धनार्जन के दौर में रिस्ते नाते को नजरअंदाज कर रहे हैं। मनुष्य में अध्यात्म ज्ञान की कमी हुई है। 

सत्संग आयोजन में भारी संख्या में सत्संग प्रेमी मौजूद रहे।

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