पूर्णियाँ/सिटी हलचल न्यूज़
बिहार सरकार के महत्वाकांक्षी योजना में से एक नल जल योजना में अरबों रुपये का घोटाला सामने आने वाला है। यह सिर्फ बिहार के सात जिले की बानगी है, अगर सम्पूर्ण बिहार में इसकी जाँच की जाय तो यह बिहार का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। यह घोटाला पटना हाईकोर्ट को दायर एक रिट याचिका दायर करने के बाद हुए जाँच में सामने आया है। वहीं इस जाँच के बाद कई अधिकारी फसते नजर आ रहे है। पूर्णियाँ जिले के बी.कोठी के रहने वाले संजय मेहता ने पूर्णियाँ प्रक्षेत्र के सभी प्रमंडल यथा पूर्णियाँ, धमदाहा, फारबिसगंज, किशनगंज, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा एवं सुपौल में पक्षपात पूर्ण ढंग से निविदा निष्पादित करने का आरोप लगाया था
याचिकाकर्ता का कहना था कि सभी नियम कानून को दरकिनार करते हुए नेता, अधिकारियों के रिस्तेदार को फायदा पहुँचाया गया है। याचिकाकर्ता के आरोप की शिकायत की जब हाईकोर्ट ने जाँच कराई तो कई गलत तथ्य सामने आए है। निविदा के वक़्त कार्यपालक अभियंता ने अपनी मनमानी चलाई। जब जाँच हुई तो अनेक निविदाएं द्वारा जाली एवं गलत बैंक गारेंटी , एफडी, पासबुक, एनएससी गलत आंकेक्षेन प्रतिवेदन समर्पित कर निविदा लेने का खुलासा हुआ। जब इनलोगो को टेंडर दिया गया तो प्रमंडल स्तरीय गठित निविदा समिति की अवहेलना कर स्वयं कार्यपालक अभियंता द्वारा टेंडर सभी को रेवड़ी की तरह बाँट दिया गया। यह टेंडर कई नेता के रिश्तेदारो को भी दिया गया। इसके अलावे प्रथम एकल निविदा को रद्द करने का प्रावधान है, मगर जाँच में पाया गया कि सिर्फ एक टेंडर गिराने वाले को भी कार्यपालक अभियंता ने काम दे दिया
वहीं याचिकाकर्ता संजय मेहता ने बताया कि हर घर नल का जल उपलब्ध कराने का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड के प्रत्येक घरो में शुद्ध नल का जल उपलब्ध कराना है। मगर कोसी सीमांचल के 90 फीसदी घरों में पानी नहीं पहुँचा है। पाइप और नल आईएसआई मार्का उपयोग नहीं किया गया, जिसे जाँच टीम द्वारा अनदेखी की गई। वही उन्होंने कहा कि पूर्णिया के कार्यपालक अभियंता द्वारा बायसी प्रखंड के मीनापुर एवं चरैया पंचायत के सभी वार्डो एवं अमौर के खाड़ी महीन गाँव, तालबारी, बैसा प्रखंड के नंदनिया गाँव मे नल जल योजना पूरी तरह चालू होने और उसका लाभ ग्रामीणों को मिलने की रिपोर्ट भेजी गई है। मगर इस रिपोर्ट से वे संतुष्ट नहीं है। कई जगह बिना काम के ही पैसो का उठाव कर लिया गया है। इसको लेकर पुनः वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे है।