भ्रष्टाचार में लिप्त अमौर प्रखंड का 257 आंगनबाड़ी केन्द्र

 




अमौर/सनोज 

पूर्णियाँ: कुपोषण मुक्त समाज के निर्माण के साथ-साथ बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देने की मंशा से अमौर प्रखंड में स्थापित 257 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्र कागजों पर चल रहा है और कुपोषित बच्चों के लिए आवंटित पोषाहार से विभागीय पदाधिकारी तंदुरूस्त हो रहें है। इस सम्बंध में क्षेत्र के पंचायत जनप्रतिनिधियों ने बताया कि क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र भ्रष्टाचार के दलदल में फंशा दम तोड़ रहा है। प्रखंड में आयोजित पंचायत समिति की बैठक में सदस्यों ने कई बार आंगनबाड़ी केन्द्रों में व्याप्त कुव्यवस्था, आराजकता एवं भ्रष्टाचार पर सवाल उठाते हुए केन्द्र की व्यवस्था में सुधार लाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिस पर आज तक अमल नहीं हो नहीं पाया है। इस प्रखंड में 241अतिरिक्त आगनबाड़ी केन्द्र एवं 16 मिनि आगनबाड़ी केन्द्र स्थापित किये गये हैं  । प्रत्येक केन्द्र में एक सेविका और एक सहायिका की नियुक्ति की गई है ।

 


भाउचर जांच के क्रम में होती है अवैध उगाही लेन देन का हिसाब किताब :



जनप्रतिनिधियों की माने तो चलने वाले प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र से विभागीय पदाधिकारियों को प्रतिमाह 3000/- रूपये नजराना मिलता है ।  केन्द्र के भाउचर जांच की जिम्मेवारी पर्यवेक्षिका व सुपरवाइजर की होती है और यहीं पर लेन देन का हिसाब किताब फाइनल हो जाता है । महिला पर्यवेक्षिकाओं द्वारा व्यय पंजी के सत्यापन के एवज में प्रतिमाह तीन हजार रूपये की अवैध उगाही की जाती है। अवैध उगाही की आकांक्षा पूरी नहीं होने की स्थिति में वैसे सेविकाओं की व्यय पंजी का सत्यापन लंबित रखा जाता है जिससे सेविकाओं का आर्थिक शोषण होता है। इस प्रकार समाज कल्याण विॆभाग की इस महत्वपूर्ण योजना पर विभागीय पदाधिकारियों की ललचाई निगाहें गड़ी रहती है। नजीतन पोषाहार मद में आवंटित राशि का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो जाता है और पोषाहार से कुपोषित बच्चों की जगह विभागीय पदाधिकारी तंदुरूस्त हो रहे हैं। ऐसे सेविका जो इस भ्रष्टाचार का विरोध करती हैं उन्हे झूठे आरोपों में फंसा कर निलंबित कर दिया जाता है ताकि फिर कोई सेविका इस भ्रष्टाचार के विरोध में स्वर नहीं उठा सके। प्रखंड में कुल 309 आंगबाड़ी केन्द्र स्थापित हैं। यदि तीन हजार रूपये प्रति आंगनबाड़ी केन्द्र से प्रतिमाह उगाही होती है 309 आंगनबाड़ी केन्द्रों से कुल 09 लाख 27 हजार रूपये प्रतिमाह की उगाही होती है । इतनी बड़ी राशि हजम करने पीछे कौन कौन विभागीय अधिकारियों का हाथ है, जांच का महत्वपूर्ण विन्दु  है । 


अवैध उगाही का विरोध करने पर सेविकाओं को मिलती है पदच्यूत करने की धमकी :


         इस सम्बंध में विगत वर्षों में मच्छट्टा पंचायत के वार्ड न०13, आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 71 की आंगनबाड़ी सेविका संजु कुमारी द्वारा बाल विकास परियोजना कार्यालय अमौर में व्याप्त भ्रष्टाचार व अवैध उगाही का विरोध किया गया था जिस पर तत्कालीन सीडिपीओ ने केन्द्र निरीक्षण की आढ़ में झूठा आरोप लगाकर उक्त सेविका को निलंबित करने का कथित प्रयास किया गया था किन्तु जब मिडिया कर्मियों द्वारा इस भ्रष्टाचार का पर्दाफास किया गया तो सीडिपीओ ने उक्त सेविका को प्रभाव में लेकर मामले का लिपापोती कर लिया। इसी प्रकार ज्ञानडोव पंचायत के आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 18 की सेविका अफीफा खातुन द्वारा सितम्बर 2021 में एक लिखित आवेदन पत्र जिला पदाधिकारी पूर्णिया, प्रमण्डलीय आयुक्त पूर्णिया एवं आईसीडीएस विभाग पटना को दिया गया था जिसमें कहा गया था कि अगस्त माह का पोषाहार व्यय भाउचर पास कराने को लेकर जब बाल विकास कार्यलय अमौर गई तो भाउचर पास करने के नाम पर सम्बंधित महिला पर्यवेक्षिका द्वारा तीन हजार रूपये अवैध उगाही की मांग की गई और कहा गया कि यह तीन हजार रूपये हरेक माह हरेक सेविका को देना होगा। विरोध करने पर उन्हे पदच्यूत करने की धमकी दी गई थी। बाद में विभागीय स्तर पर सेविका को प्रभाव में लेकर मामले की लीपापोती कर दी गई ।




आईसीडीएस विभाग में हर नुस्खे से तैयार होता है भ्रष्टाचार का कांसेप्ट :


 हाल ही में अमौर प्रखंड के जिला परिषद क्षेत्र संख्या 30 से निर्वाचित जिला परिषद सदस्य शहाबुज्जमा उर्फ लड्डू जिनकी पत्नी आंगनबाड़ी सेविका हैं ने बाल विकास परियोजना कार्यलय अमौर में सीडिपीओ की शह पर महिला पर्यवेक्षिकाओं द्वारा प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र से 3000/-रूपैये की अवैध उगाही पर आवाज उठाया गया था और प्रशासन से इसकी जांच कर आवश्यक कार्यवाई किये जाने की मांग की गई थी।जिस पर आज तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है और बाल विकास कार्यालय अमौर में अवैध उगाही का गोरखधंधा आज भी बरकरार है। इस प्रकार अमौर प्रखंड के आईसीडीएस विभाग में आज भी रिश्वतखोरी की प्रथा कायम है और प्रशासनिक भ्रष्टाचार यहां सिर चढ़कर बोल रहा है।

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