विभिन्न स्कूलों में मनाई गई बाबा साहब की जयंती

 


चौसा /नौशाद आलम 

मधेपुरा : डाॅ अम्बेडकर भारतीय लोकतंत्र के वास्तविक निर्माता थे। वे संविधान के साथ-साथ समतामूलक समाज व प्रगतिशील राष्ट्र निर्माता भी थे।उक्त बातेंमुख्यालय स्थित महादेव लाल मध्य विद्यालय चौसा की प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने कही। वे शुक्रवार को विद्यालय में आयोजित भारत रत्न डाॅ भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने समाज को भेद-भाव व छुआछूत से एक हद तक मुक्ति दिलाई


शिक्षक यहिया सिद्दीकी तथा प्रणव कुमार ने कहा कि बाबा साहब ने विपरीत परिस्थितियों में भी जीने का कौशल सीखाया।नुजहत परवीन व भालचंद्र मंडल ने कहा कि बाबा साहेब का दर्शन ” शिक्षित बनो , संगठित हो और संघर्ष करो” जीने ही राह दिखाता है।ज्ञातव्य है बाबा साहेब की जन्म 14 अप्रैल 1891 ई को हुआ था। उनकी जयंती के अवसर पर विद्यालय में आयोजित समारोह में उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया।  समारोह में वक्ताओं ने बाबा साहब के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।मौके पर प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ,शिक्षक यहिया सिद्दीकी, प्रणव कुमार, भालचंद्र मंडल, मंजर इमाम, शमशाद नदाफ,राजेश कुमार, शिक्षिका नुजहत परवीन, श्वेता कुमारी, रीणा कुमारी,शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशक मनोज कुमार सहित छात्रगण उपस्थित थे


दूसरी ओर उ0म0वि0बड़की बढ़ौना चौसा में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की 132 वीं जयंती में धूमधाम से मनाई गई। सर्वप्रथम सभी शिक्षकों के द्वारा पुष्पांजलि अर्पित किया गया। उसके बाद एक महती सभा का आयोजन कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। मौके पर शिक्षक मनीष कुमार, आशीष कुमार, लड्डू कुमार शर्मा, कुमारी साधना भारती और सोनी शर्मा उपस्थित हुए।भीमराव रामजी आम्बेडकर, डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।

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