कल सजेगा माँ सितला का दरबार, प्रशासन मुस्तैद

पूर्णियाँ/राजेश कुमार
पूर्णिया पूर्व प्रखंड अंतर्गत बेलौरी वार्ड नंबर- 44 में कल सजेगा सुप्रसिद्ध शीतला माँ का दरबार मेले को लेकर आयोजन की तैयारी पूरी हो चुकी हैं सुरक्षा का जायजा लेने पहुंचे मुफस्सिल थानाध्यक्ष संतोष कुमार झा व मुफस्सिल पुलिस बल, आपको बता दे कि इस मेले की सुरक्षा में बिहार पुलिस के अलावा रेलवे पुलिस बल भी तैनात रहेंगे। पूरे मेले की निगरानी सीसीटीवी के जद में रहेगी। कृष्णापुरी कॉलोनी स्थित माता शीतला मंदिर प्रांगण में लगने वाले एक दिवसीय मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं जिस कारण पुलिस प्रशासन के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती मानी जाती है। माता शीतला मेला में आसपास के जिलों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु यहां माथा टेकने पहुंचते हैं और अपनी मन्नतें चढ़ाते हैं। मेले में सिलीगुड़ी, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, के अलावा बांग्लादेश, दमदम, नेपाल, एवम भूटान, से श्रद्धालु यहां चढ़ावा चढाने आते हैं। ज्ञात हो कि इस मंदिर की स्थापना स्वर्ग रूहिणी कविराज द्वारा सन 1948 में की गई थी

तब से यहां प्रत्येक वर्ष मेला का आयोजन किया जाता है रूहिणी कविराज के प्रपोत्र प्रह्लाद दास नाती रितेन सरकार बताते हैं कि 1945 के आसपास अपने परिवार के साथ यहां आए थे और यही सब बस गए। उन्हे शीतला माता के स्वरूप स्वप्न में दर्शन हुए तभी उन्होंने इस मंदिर की स्थापना करने की ठान ली। सन 1948 ई. में मंदिर की स्थापना की गई। उसके बाद प्रत्येक वर्ष यहां मेला का आयोजन किया जाने लगा 2001 ई में उनकी मृत्यु के बाद ग्राम वासीयो तथा अन्य लोगों के सहयोग से प्रत्येक वर्ष यहां मेला का आयोजन किया जाता है। एवं उनके वंशज साल के 365 दिन माता शीतला की पूजा करते आ रहे हैं श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने पर अमावस्या एवं पूर्णिमा के दिन पंडित जी के द्वारा विशेष पूजा किया जाता है। श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में ही शीतला माता को बलि चढ़ाते हैं।व सादे कबूतर का बली नहीं देकर उसे खुले आसमान में उड़ा देते है। शीतला माता के संबंध में मंदिर के पुजारी प्रह्लाद दास बताते हैं कि यहां बड़ी पॉक्स (माता) की बीमारी से लोग ग्रसित होकर पहले यहां आते थे तब स्वर्ग रूहनी कविराज द्वारा माता की पूजा कर विशेष जड़ी बूटी का लेप लगाकर उनका उपचार करते थे तथा रोगी स्वस्थ हो जाते थे

जिसके बाद से माता शितला की प्रसिद्धि काफी बढ़ने लगी वही कृष्णा पुरी कॉलोनी निवासी कमेटी के अध्यक्ष प्रमोद देवनाथ कहते हैं कि स्वर्गीय कविराज को माता सितला से अलोकिक शक्ति मिली थी जिसके कारण वह मरणासन्न लोगों में भी जान फूंक देते थे उन्हीं बातों को लेकर माता सितला की शक्ति कि गुनगान चारों ओर फैल गई इस एक दिवसीय मेले का आयोजन होली के आठवें दिन होता है मेले के आयोजन में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष,सदस्य और नवरंग संघ के युवाओं एव आसपास के ग्रामीणों जनप्रतिनिधियो की अहम भूमिका रहती है। मेले को लेकर एक माह से मेला कमेटी के सदस्य दिन रात एक कर तैयारियों में लगे रहते है मेले मे खिचड़ी महाभोग प्रसाद का भी आयोजन किया जाता है जिसमें 30 से 40 क्विंटल चावल का खिचड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं के बीच वितरण किया जाता है। यहां एक बार आने वाले भक्त को माता शीतला के प्रति असीम श्रद्धा भाव उसे हर वर्ष खिच लाती है। कहा जाता है कि शीतला माता के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। मन की मुराद पूरी होने के बाद भक्त चढ़ावा चढ़ाने एवं माथा टेकने हर वर्ष जरूर आते हैं।चढ़ावा चढ़ाने के लिए मेला कमेटी द्वारा भक्तों को टोकन दिया जाता है ताकि भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, मेला कमेटि मे अध्यक्ष प्रमोद देवनाथ उपाध्यक्ष बिनोद दास, सचिव बप्पी घोस कोषाध्यक्ष सपन दास,सदस्य सचिन दास, पवन कुमार यादव, शंकर कुमार यादव, रितेन सरकार, दिलीप दास, मनोज कुमार साह, तापस दास, गौतम दास, सुबोध दास, छोटन दास, समीर दास, संजय दास, विकास दास, राजा देवनाथ, समीर दास, दिलीप दास, इत्यादि मेला लगाने को लेकर तैयारी पूरी कर ली है

मेला कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष मेले की व्यवस्था मेला कमेटी के अध्यक्ष सचिव सदस्य एवं नवरंग संघ के सदस्य एवं स्थानीय ग्रामीणों द्वारा ही किया जा रहा है सरकार के द्वारा मेला परिसर में एक हवामहल और विवाह भवन भी बनाया गया है जो मेले के विधि व्यवस्था रखने में या कार्यालय के रूप में सहयोग में आ रहा है।मेले का आकर्षण मेले को और खूबसूरत बना देता है जब डांसिंग झूला, जंपिंग पैड, सर्कस, बड़ा झूला, छोटा झूला, मेले में रंग बिरंगी मिठाइयों की दुकान, चाट चाउमीन, बर्गर, बंगाल का रसगुल्ला, दही, एवं बांस की बनी हुई सामग्री टोकरी, सूप, एवं बच्चों के लिए रंग बिरंगी गुब्बारों की दुकानें मेला की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। क्योंकि इस मेले मे शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग भारी संख्या में शीतला मां के दर्शन करने आते हैं।

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