पशुपालन व मत्स्य पालन का लाभ दिलाकर किसानों को पूर्णिया के कर्मी ने बनाया आत्मनिर्भर

पूर्णिया/रौशन राही

बिहार में पशुपालन एवं मत्स्य विभाग  में काम करने को लेकर हिम्मत और हौसला की बात कही जाती है क्योंकि बिहार पशुपालन को लेकर पूर्व में बदनाम रहा है यही कारण है कि पशुपालन विभाग का मंत्रालय संभालने के लिए नेता कतराते हैं । परन्तु वर्तमान समय मे नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी का दृढ़ संकल्प व कर्तव्यनिष्ठता को लेकर बिहार में फिर पशुपालन व मत्स्य पालन में नई क्रांति आई है । किसान अब पशुपालन को अपनाकर आत्मनिर्भर हो रहे हैं । बताते चले कि बिहार में बाढ़ त्रासदी को लेकर  कोशी सीमांचल के 5 जिले का क्रियान्वयन हुआ जिसमें पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, सुपौल जिले को बिहार कोसी बेसिन में रखा गया था 


 गौरतलब बात है कि सीमांचल में बिहार कोसी बेसिन में कार्यरत सभी फेसिलेटर अपने-अपने क्षेत्र में किसानों को जागरूक कर पशुपालन का लाभ किसानों तक पहुंचाने का काम किया । पूर्णिया जिले के धमदाहा प्रखण्ड से फेसिलेटर डॉ आलोक कुमार पिता राम नारायण शर्मा  ने राज्य स्तर पर किसानों को पशुपालन  से अधिक-अधिक जोड़ने को लेकर सेकेण्ड टॉपर किया है । इसकी सूचना बिहार कोशी बेसिन पटना ने चिट्ठी जारी कर किया । वहीं बनमनखी से फेसिलेटर डॉ हरेन्द्र कुमार एवं कसवा से फेसिलेटर पिंकी प्रिया को किसानों को पशुपालन से जोड़ने को लेकर लिस्ट में नाम जारी किया गया है । पहला स्थान पर मुजफ्फरपुर निवासी डॉ दीपक का नाम लिस्ट में आया है

सेकेंड टॉपर डॉ आलोक कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि बिहार कोशी बेसिन  में किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए पशुपालन में 50% अनुदान देता है ।  जिसमे मुर्गी पालन के लिए  कुल 2 लाख 90 हजार में 1 लाख 45 हजार का सब्सिडी, बकरी पालन में कुल 2 लाख  में कुल 1 लाख सब्सिडी, गौ पालन में एससी एसटी एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग को कुल  1 लाख 60 हजार में 1 लाख 20 हजार सब्सिडी, जबकि सामान्य को  80 हजार सब्सिडी,  वहीं मत्स्य पालन के लिए 27 हजार से लेकर 5 लाख सब्सिडी लाभ का स्किम है । मंत्री लेशी सिंह ने बिहार कोशी बेसिन में कार्यरत फेसिलेटर व डॉक्टर को बधाई दी है ।

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