मुद्दतों बाद भी नहीं बन पाया कमला घाट नदी पर पक्की पुल, लोगों में आक्रोश


फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट

फलका (कटिहार):- मुद्दतों बाद भी फलका के मोरसंडा कमला घाट, भरसिया के रमनाकोल में पूल नहीं बन पाया। और लोग चचरी पूल व नाव के सहारे आवागमन करते हैं। निश्चय ही जोखिम भरा है। इन जगहों पर लोग चचरी पूल व नाव के सहारे आवागमन करते हैं। जो निश्चय ही जोखिम भरा है। इन जगहों पर चचरी पूल व नाव के कारण कई जिंदगियां मौत के आगोश में समा चुके हैं। बताते चलें कि मोरसंडा पंचायत कामलाघाट मुसहरी व रहटा पंचायत के बांध टोला वासियों के लिए यह कमला घाट मुख्य रास्ता है। जिस कारण प्रत्येक वर्ष किसी न किसी व्यक्ति का पुल और नाव के अभाव के कारण असमय मौत हो जाती है। जबकि स्थानीय आमजन क्षेत्रीय सांसद व विधायक से कई बार इस पर पुल निर्माण की गुहार लगा चुकी है

लेकिन अब तक स्थानीय ग्रामीणों को आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है। बता दें कि इस चचरी पूल से करीब दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत चचरी और नाव से नदी पार करने के दौरान हो चुकी है। मोरसंडा पंचायत के मुखिया राजू नायक ने कहा कि कमला घाट में पुल नहीं होने के कारण लोगों को आवागमन में काफी  कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बरंडी नदी के कमला घाट पर चचरी पुल और डेंगी नाव से हर साल मासूमों की जान जा रही है। कई बार स्थानीय ग्रामीणों द्वारा क्षेत्रीय विधायक और सांसद मोहदय से पुल समस्या से निजात की मांग की गई, मगर पुल निर्माण को लेकर सांसद या विधायक से सिर्फ आश्वासनों का लॉलीपॉप मिला। स्थानीय ग्रामीण, राकेश रजक, राजू चौधरी  विनय मंडल, शंभू साह, असजद आदि सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि अब तक पुल के अभाव में दर्जनों लोगों की निर्मम मौत हो चुकी है

हर साल चचरी पुल और डेंगी नाव से लोग मौत के शिकार हो रहे है। पुल निर्माण अति आवश्यक है। चुनाव के समय नेताजी आश्वासन देकर जाते हैं। जीतने के बाद वादा भूल जाते हैं। जबकि इस पुल से मोरसंडा और रहटा पंचायत के करीब 20 हजार आबादी प्रभावित है। साथ ही करीब पांच हजार महादलित का आवाजाही का एक मात्र रास्ता चचरी पुल है। फिर भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। लोगों का यह भी कहना है कि देश को आजादी तो मिल गई लेकिन आज भी हमलोगों को लगता है कि मानो गुलामी में जिंदगी जीने को विवश हैं।

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