महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई

पूर्णियां : मीरगंज थाना क्षेत्र के सभी सरकारी एवं प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में हर्सोल्लास पूर्वक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152 जयंती एवं देश के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनायी गई । इस मौके पर उत्क्रमित उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक वचनेश्वर झा ने राष्ट्रपिता एवं भूतपूर्व प्रधानमंत्री के तैलचित्र फोटो पर माल्यार्पण कर उपस्थित शिक्षक एवं छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर का दिन भारत वासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के अलावा भूत पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी मनाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे। लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का रामदुलारी था। इनके पिता एक शिक्षक थे। शास्त्री जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे, इसलिए सब प्यार से उन्हे नन्हे बुलाते थे। शास्त्री जी एक क्रांतिकारी व्यक्ति थे


और इनके द्वारा गांधी जी के नारे को ‘मरो नहीं, मारो’ में चतुराई से बदलाव मात्र से देश में क्रांति की भावना जाग उठी और उसने प्रचंड रूप ले लिया और इसके लिए शास्त्री जी को जेल भी जाना पड़ा। आजादी के बाद शास्त्री जी की साफ-सुथरी छवि ने उन्हे नेहरू जी के मृत्यु के बाद देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया और उनके सफल मार्गदर्शन में देश काफी आगे बढ़ा। अनाजों की कीमतों में कटौती, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में सेना को खुली छूट देना, ताशकंद समझौता जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाते में उनकी मृत्यु ताशकंद में रहस्यमयी तरीके से हो गई।लाल बहादुर शास्त्री अपने देश के लिए बलिदान और सच्ची देश भक्ती के लिए सदैव जाने जाते हैं। मरणोपरांत इन्हे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इस मौके पर शिक्षक रविन्द्र कुमार छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 2 अक्टूबर को हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश 152वीं गांधी जयंती मना रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। आगे चलकर लोगों के बीच वह बापू के नाम से पुकारे जाने लगे। बापू ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत के दम पर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। उनके अहिंसा के सिद्धांत को पूरी दुनिया ने सलाम किया, यही वजह है कि पूरा विश्व आज का दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाता है। महात्मा गांधी के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत के साथ पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे

महात्मा गांधी की महानता उनके कार्यों व विचारों के कारण ही 2 अक्टूबर को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। गांधी जी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया था ।महात्मा गांधी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी। लंदन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल कर उन्होंने बड़ा अफसर या वकील बनना उचित नहीं समझा, बल्कि अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया। अपने जीवन में उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। वह हमेशा लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे। चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके कुछ प्रमुख आंदोलन ने जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया


गांधीजी ने भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी बुराइयों के प्रति लगातार आवाज उठाते रहे । वे चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है। उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। नारी सशक्तीकरण के लिए भी वह हमेशा प्रयासरत रहे। हम सभी गांधीजी का काफी सम्मान करते हैं। लेकिन उनके सपने तो सभी पूरे होंगे जब हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे। तो आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।

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