फलका से ए डी खुशबू की रिपोर्ट
कटिहार : ऐसे तो सावन में श्रृंगार की परंपरा बरसों से चली आ रही है। यही कारण है कि सावन में चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। सावन में श्रृंगार की परंपरा बरसों से चली आ रही है। खासतौर पर हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा रहती है। यही वजह है कि चूड़ी बेचने वाले इन दिनों हरी चूड़ियों की कीमत बढ़ा देते हैं। लेकिन महिलाओं को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें तो सिर्फ हरी चूड़ियों से मतलब होता है। सावन का महीना प्रारंभ होते ही मेहंदी और हरी चूड़ियों की बिक्री परवान पर है। खासतौर पर हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा रहती है
हरी पीली लाल रंग की खनकती चूड़ियों को हिंदू धर्म में सुहाग का प्रतीक माना गया है :-
हरी, पीली, लाल रंग की खनकती चूड़ियों को हिन्दू धर्म में सुहाग का प्रतीक माना गया है। साथ ही, चूड़ियों को हमारे ग्रंथों में से सोलह सिंगार में से एक माना गया है। खासतौर पर सावन के महीने में सुहागन स्त्रियों का हरे रंग की चूड़ियां पहनने का विशेष महत्व है।दरअसल भारतीय सभ्यता में सावन में हरे रंग की चूड़ियां पहनना भी एक परंपरा है, जो आज तक कायम है। इसलिए सावन का महीना शुरू होते ही महिलाओं की संवरने सजने खासकर हरे रंग की चूड़ियां खरीदने और पहना शुरू कर दी है। इनदिनों जिले के फलका बाजार और पोठिया बाजार के चूड़ी दुकानों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ी रहती है। हाल यह है कि सावन में बढ़ते हरी रंग की चूड़ियों के डिमांड के कारण 70 से 100 रुपये दर्जन बिकने लगे है
चूड़ी बिक्रेता शंभु गुप्ता, बंटी गुप्ता, सोनू गुप्ता, मोहम्मद अंसार, छोटू आलम, आदि बताते हैं कि सावन के महीने में सोलह श्रृंगार के हरे रंग की चूड़ी,मेहँदी , बिंदिया और लाल रंग नेल पॉलिश सहित अन्य सामग्री की बिक्री खूब होती है। बिक्रेताओं ने बताया कि सुहागन महिलाएं सबसे ज्यादा पहुंचती है। साथ में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी खरीद रही है
क्या कहती हैं महिलाएं :-
सुहागन सीमा कुमारी, प्रीतम कुमारी, नूतन देवी, सुनीता देवी, अनुपमा रानी, कविता ,नूतन देवी , आरती ,कंचन देवी, पूनम देवी,खुशबू सरकार, पूनम भारती आदि बताती हैं कि हमारे यहां पूर्वजों से सावन में सजने संवरने की परंपरा खासकर हरे रंग के साड़ी सहित हरे रंग की चूड़ी और मेहँदी के साथ सोलह सिंगार की अनूठी परंपरा को हमलोग निभाते आ रही हूँ। जो काफी अच्छा लगता है।
पूजा की सामग्री की खूब हो रही है बिक्री:-
सावन महीना पूजा का महीना होने के कारण फल फूल धूप अगरबत्ती की बिक्री में भी जहां तेजी आ गई है
क्या कहते हैं जानकर :-
पकड़िया ग्राम निवासी सह पंडित वीरेंद्र झा से हमारे संवाददाता ए डी खुशबू के द्वारा बातचीत की गई। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि सावन मास को हरियाली और प्रकृति का महीना माना जाता है। शास्त्रों में महिलाओं को शक्ति यानी प्रकृति का रूप माना गया है। हरे रंग को उपजाऊ शक्ति का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं, जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है। उन्होंने आगे बताया कि जबकि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हरा रंग बुध से प्रभावित होता है। बुध एक नपुंसक ग्रह है। इसलिए बुध से प्रभावित होने के कारण हरा रंग काम भावना को नियंत्रित करने का काम करता है। सावन में मेंहदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी यही माना जाता है।बहरहाल फलका सहित जिले भर में सावन में सुहागन सोलह श्रृंगार की अनूठी परंपरा को निभाने में व्यस्त दीख रही है। वहीं बोल ...बम... बोल ...बम... तथा मोर भंगिया के मनाय देव नारों से वातावरण भक्ति में बनने लगा है।





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