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अमौर से सबा जफर को नोमनेशन करने से रोका, साबिर अली लड़ेंगे चुनाव

 पूर्णियां/ सिटी हलचल न्यूज 

पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली एकबार फिर जदयू में शामिल हो गए हैं। पूर्णियां में बिहार सरकार की मंत्री रही लेसी सिंह ने उन्हें प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करवाया। साबिर अली जदयू से अनबन के बाद लोजपा में चले गए थे। आज पूर्णियां में मंत्री लेसी सिंह के आवास पर उन्हें सदस्यता ग्रहण करवाकर पुनः जदयू में लाया गया। इस मौके पर मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि साबिर अली समता पार्टी काल के उनके साथी रहे हैं। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के कार्यो से प्रभावित होकर पुनः जदयू में आये हैं और अब संगठन को मजबूत करेंगे। वहीं इस मौके पर पूर्व राज्यसभा सांसद साबिर अली ने कहा कि मेरी राजनीतिक शुरुआत नीतीश कुमार जी के वजह से ही हुई थी। मैं उन्हें अपना राजनीतिक अभिवावक मानता हूं। उनके आर्शीवाद से मुझे 2008 से 2014 तक राज्यसभा सांसद भी बनाया गया था


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जो देश और बिहार के विकास के लिए जो नीति हैं उनकी मैं सहराहना करता रहा। बीच मे कुछ ब्यक्तिगत विचार के वजह से उन्हें अलग होना पड़ा था। पुनः अपने घर मे वापस आकर उन्हें अच्छा लग रहा हैं। पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी उन्हें सिद्दत से निभाउंगा।वही पूर्णियां आकर सदस्यता ग्रहण करने को लेकर पूर्णियां के अमौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। मगर अमौर सीट पर पूर्व से ही जदयू ने पूर्व विधायक सबा जफर को टिकट दे दिया था। वही आज शनिवार को सबा जफर जदयू के सिंबल पर नामांकन की तैयारी भी कर चुके थे। मगर ऐन वक़्त उन्हें नामांकन करने से मना कर दिया गया है। वही साबिर अली के जदयू जॉइन करने के बाद यह कयास लगाए जा रहे है कि जदयू अब अमौर से साबिर अली को जदयू के सिंबल पर चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रही हैं

बता दे कि साबिर अली पूर्वी चंपारण के बड़े ब्यवसाई हैं। अमौर विधानसभा में जिस तरह बाहरी उम्मीदवार पहले AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान फिर साबिर अली ने इंट्री मारी हैं, इससे अमौर का पूरा राजनीतिक समीकरण ही बदल गया है। अमौर विधानसभा से वर्तमान में AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान विधायक हैं। वे AIMIM की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। वही कॉंग्रेस ने पूर्व मंत्री जलील मस्तान को टिकट दिया हैं। वही तीसरे उम्मीदवार के रूप में साबिर अली आये हैं। मगर अमौर विधानसभा की जो लड़ाई हैं वह सुरजापुरी और कुलहैया मुसलमान के बीच शुरू से होते आ रहीं हैं। सीमाँचल में जितने भी मुस्लिम विधायक हैं, वे या तो सुरजापुरी हैं या मुस्लिम हैं। ऐसे में जदयू के साबिर अली के सामने बाहरी होने के साथ साथ इन दोनों जाति से लड़ना भी चुनौती होगी।

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