गया जी गयाजी शहर के बिसार तलाब स्थित संचालित ब्रिटिश स्कूल गुरुकुल के छात्राओं ने इस बार भी नीट यूजी 2025 के रिजल्ट में अपना परचम लहराया है. ब्रिटिश स्कूल गुरुकुल के दो छात्राओं पलक लोहानी AIR- 14775, OBC रैंक 6445 और साक्षी शरण AIR- 42615, EWS रैंक 5199 लाकर सफल हुए हैं। इस दौरान ब्रिटिश स्कूल गुरुकुल के द्वारा एक ससम्मान-समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सत्यम अल्ट्रासाउंड के डायरेक्टर कुंदन प्रसाद शामिल हुए। इंस्टिट्यूट के संचालक भीमराज प्रसाद ने कहा कि देश में एक इंस्टीट्यूशन स्तर पर यहां के छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए नीट यूजी 2025 की परीक्षा में जो सफलता हासिल की है, वह एक मिसाल है। इसे पूरा संस्थान गौरवान्वित महसूस कर रहा है। यह एक इंस्टीट्यूशन के तौर पर देश में बड़ी सफलता है.संचालक भीमराज प्रसाद ने कहा कि नीट यूजी 2025 की परीक्षा में 25 लाख छात्र-छात्राओं में 50 हजार से नीचे रैंक लाना कोई आसान काम नहीं है। उसी में से ब्रिटिश स्कूल गुरुकुल के दो छात्राओं ने काफी अच्छा रैंक लाया हैं। हम लोगों का तीन-चार साल पुराना इंस्टीट्यूशन है. सभी टीचर काफी मेहनती हैं. इस सफलता के बाद बाकी तैयारी करने वालों छात्र-छात्राओं में हौसला बढ़ा है। सफल छात्राओं को ब्रिटिश स्कूल गुरुकुल के द्वारा मुख्य अतिथि के द्वारा दोनों छात्राओं को लैपटॉप और उनके माता-पिता को शाल देकर सम्मानित किया। हमारे इंस्टिट्यूट के सभी बच्चे इस सफलता के बाद खुशी महसूस कर रहे हैं। इस पूर्व ही इसी संस्थान से 14 छात्र-छात्राओं ने जेई एडवांस में सफलता प्राप्त किए थे। गया जी शहर का पहला यह इंस्टिट्यूट है जहां पर 6 टीचर केवल आईआईटियन है। मैं भीमराज प्रसाद इस इंस्टीट्यूशन का मैनेजिंग डायरेक्टर हूं, व्यवस्थापक हूं. जहां पर अच्छे टीचर की व्यवस्था करते हैं. समय-समय पर बच्चों से इंटरव्यू लेकर उसका फीडबैक लिया जाता है. छात्रों से फीडबैक लिया जाता है, की मैथ, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, फिजिक्स की पढ़ाई अच्छी से हो रही है या नहीं. यदि दिक्कत हो रही तो बताइए कि हमारी इंस्टीट्यूशन में क्या कमी है. हर दो-तीन महीने पर फीडबैक कलेक्ट करते हैं. बच्चों के राय और उस कमी को दूर करते हैं. आज जो रिजल्ट है, वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय है. हालांकि एक दो बच्चों का रिजल्ट हम लोगों के आशा के रूप नहीं आ पाया. इस टफ एक्जाम में इतनी मेहनत करनी होती है, कि 24 महीना के समय में प्राइमरी तौर पर जो छात्रों टॉप कर रहे होते हैं, वह आगे चलकर कुछ नीचे चल जाते हैं, डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और धीरे-धीरे पीछे हो जाते हैं. इससे सभी छात्र-छात्राओं को बचना चाहिए. छात्रों को हौसला कभी नहीं छोड़ना चाहिए।