महिला प्राध्यापकों को बुके देकर किया गया सम्मानित।
मुरलीगंज/सिटी हलचल न्यूज़
मधेपुरा : केपी काॅलेज में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा भव्य महिला सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की महिला प्राध्यापकों को सम्मानित किया गया और महिला सशक्तिकरण पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता काॅलेज के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ संगीता कुमारी सिन्हा ने किया। संचालन एनएसएस पदाधिकारी डॉ चंद्रशेखर आजाद ने की। इस अवसर पर कार्यक्रम में विद्यालय परिवार के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी छात्र-छात्राएं मौजूद थे। मौजूद प्राध्यापकों ने महिला सशक्तिकरण, शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी और समाज में उनकी भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि आज हम सब यहां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इकट्ठा हुए हैं। यह दिन न केवल महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि महिलाओं के प्रति जागरूक करना और उन्हें सम्मान देना है। महिलाओं ने इतिहास के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो या खेल का मैदान। नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है-यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः महिला प्राध्यापकों ने साझा किए अपने विचार महिला प्राध्यापक डॉ. पूनम कुमारी ने कहा कि “महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण साधन है। शिक्षा ही वह माध्यम है जो महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाता है और उन्हें समाज में आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है
प्रो नित्यानंद ने अपने संबोधन में कहा कि “आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अग्रसर हैं, लेकिन उन्हें पूर्ण समानता दिलाने के लिए हमें और प्रयास करने होंगे। यह दिवस हमें महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ उनकी चुनौतियों को समझने का भी अवसर देता है। एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि एनएसएस हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कार्य करता है। महिला दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है, बल्कि छात्र-छात्राओं को भी प्रेरित करता है कि वे महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता की भावना विकसित करें। डॉ संगीता कुमारी सिन्हा ने कहा कि संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। महिला दिवस का उद्देश्य लैंगिक भेदभाव समाप्त कर एक समान और सशक्त समाज का निर्माण करना है। सभी महिला प्राध्यापकों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि “महिला शक्ति के बिना समाज की प्रगति संभव नहीं है। हमें मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहाँ महिलाओं को समान अवसर और अधिकार प्राप्त हों।मौके पर डॉ शिवा शर्मा, डॉ रविंद्र कुमार, डॉ विजय कुमार पटेल, डॉ त्रिदेव निराला, डॉ नित्यानंद, डॉ शंकर रजक, डॉ राजकुमार, डॉ नजराना, डॉ राघवेंद्र, डॉ शशि भूषण, डॉ ब्रह्मदेव, प्रधान लिपिक राजन रॉय, लेखापाल देवाशीष, नीरज कुमार निराला, महेश, अशोक, संत, नीरज, प्रदीप समेत अन्य मौजूद रहे।