देश के एकलौते बराह बाबा स्थान में पूजा की तैयारी पूरी, तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा को करते हैं जलार्पण

 

भवानीपुर/ संवाददाता

पूर्णियाँ : भवानीपुर प्रखंड मुख्यालय से कुछ दुरी पर अवस्थित बिहार ही नहीं बल्कि देश के एकमात्र बराह बाबा स्थान में पूजा की तैयारी पूरी कर ली गयी है | प्रत्येक बर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ लाखों लोग बराह बाबा को दूध एवं जलार्पण के लिए आते हैं | कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ ना सिर्फ स्थानीय लोग बाबा को जलार्पण कर अपनी मन्नत मांगते हैं | बल्कि सूबे के भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया जिला के अलावे झारखण्ड एवं पड़ोसी देश नेपाल से भी काफी तादाद में श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं | कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगनेवाले भव्य मेला की तैयारी स्थानीय लोगों के द्वारा काफी जोड़-शोर से किया गया है | वहीं दूसरी तरफ मेला कमिटी के द्वारा बराह बाबा मंदिर के रंग-रोगन का काम भी किया जा रहा है


मंदिर का इतिहास :-

सैकड़ो बर्ष पुराने बराह बाबा मंदिर की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि सुदामानगर के बगल में एक बड़ा चौर था | बताया जाता है कि सैकड़ो बर्ष पहले इस चौर में एक बार कई व्यक्ति एक साथ हल चला रहे थे |  हल चलाने के दौरान सबसे आगे चल रहे हलवाहे का हल किसी चीज में अटक गया |  मंदिर के वर्तमान पुजारी परशुराम झा ने बताया कि उस हलवाहे नें हल निकालने के लिए काफी कोशिश किया परन्तु उसका हल वहां से नहीं निकल पाया | बताया जाता है कि उसके बाद हल चला रहे सभी लोगों नें मिलकर वहां कुदाल से जमीन को खोदना शुरू कर दिया | जमीन को खोदने के दौरान हलवाहों ने देखा कि जिस वस्तु में हलवाहे का हल लगा था उससे खून निकल रहा था | इस दृश्य को देखकर सभी हलवाहों के द्वारा भवानीपुर गांव में जाकर लोगों को यह बात बताई गई | जिसके बाद समूचे गांव के लोग उस जगह पर पहुंचकर काफी खुदाई किया | परन्तु उस जगह पर उस वस्तु का कोई अंत नहीं मिल पाया | खुदाई करते-करते काफी अंधेरा होने पर सभी व्यक्ति वहां से वापस अपने घर चले गए | इसके बाद रात्रि में हलवाहों को स्वप्न में बराह बाबा ने बताया कि वह उस जगह पर हीं मौजूद हैं | उसी दिन से वहां पर बराह बाबा की पूजा अर्चना किया जाने लगा | स्थानीय बुजुर्गों नें बताया कि जिस दिन पहलीबार वहां पर बराह बाबा की पूजा की गयी थी उस दिन श्रधालुओं के द्वारा चढ़ाए गए दूध से वहां नदी जैसा दृश्य पैदा हो गया था 


पुत्र प्राप्ति के बाद बैशाखी साह ने बनवाया मंदिर :-

मंदिर के पुजारी परशुराम झा ने बताया कि धमदाहा प्रखंड क्षेत्र के चंदरही निवासी बैसाखी साह को एक भी पुत्र नहीं हो रहा था | उसने यहाँ आकर मन्नत माँगा कि यदि उसके घर पुत्र पैदा होगा तो वह यहाँ पर मंदिर का निर्माण कराएगा | जिसके अगले बर्ष उसके घर एक पुत्र पैदा हुआ | परन्तु इसके बाद भी उसके द्वारा यहाँ मंदिर का निर्माण नहीं कराया गया | बताया जाता है कि इसके कुछ दिनों बाद उसका पुत्र पागल होकर अपने घर से भाग गया | उसके घरवाले जब उसकी खोजबीन किया तो वह इसी बराह बाबा के मंदिर से कुछ दुरी पर बेहोश पड़ा हुआ था | जिसके बाद बैसाखी साह के द्वारा बराह बाबा के मंदिर में मांफी माँगा गया और मंदिर बनाने की बात उसके द्वरा कही गयी | इसके बाद उसका पुत्र पुनः ठीक हो गया | और उसे सरकारी नौकरी मिलने के बाद उसके द्वारा यहाँ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है | वर्तमान समय में मंदिर का निर्माण अधुरा पड़ा हुआ है | और देश के एकलौते बराह बाबा मंदिर कि स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है


प्रकृति प्रेम का देता है उदाहरण :-

जलार्पण के लिए यहाँ पहुंचनेवाले श्रद्धालु एक तरफ जहाँ बराह बाबा को जलार्पण कर अपनी अटूट श्रधा को दर्शाते हैं | वहीं दूसरी तरफ यहाँ पहुंचनेवाले श्रद्धालु प्रकृति प्रेम का अद्भुत मिशाल कायम करते हुए मंदिर प्रांगन में लगे आंवले के पेड़ कि पूजा भी करते हैं | देश के एकलौते बराह बाबा मंदिर में पूजा के लिए आनेवाले श्रद्धालु आंवले के पेड़ कि पूजा कर अपने को आज भी प्रकृति से जुड़े होने का अद्भुत मिशाल कायम करते हैं।

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