तमाम महीनों से अफजल है रमजान का महीना : मौलाना तहमीद खिजर

बैसा/फरहान आलम

पूर्णियाँ: तमाम महीनों से अफजल रमजान का महीना होता है । उक्त बातें मौलाना तहमीद खिजर ने कही। उन्होंने कहा कि हजरत सलमान रजीअल्लाह तआला अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लाहु अलैहेसल्लम ने साबान की आखिरी तारीख में हमलोगों से इरशाद फरमाया कि तुम्हारे ऊपर एक महीना आ रहा है । जो बहुत बड़ा महीना है । बहुत मुबारक महीना है । इसमें एक रात ऐसी आती है सबे कदर जो हजारों महीनों से बढ़कर है । अल्लाह तआला ने इस महीने के रोजा को फर्ज फरमाया और इसके रात के क्याम यानी तरावीह को सवाब की चीज बनाया है


जो शख्स इस महीना में किसी नेकी के साथ अल्लाह के नजदीकी हासिल करे वह ऐसा है जैसा कि गैर रमजान में फर्ज को अदा किया । और जो शख्स इस महीना में किसी फर्ज को अदा करे वह ऐसा है जैसा कि गैर रमजान में सत्तर फर्ज अदा करे । यह महीना सब्र का है । और सब्र का बदला जन्नत है । इस महीना में रोजी को बढ़ा दिया जाता है । जो शख्स किसी रोजेदार को रोजे अफ्तार कराए उसके गुनाहों को अल्लाह माफ कर देते हैं । और रोजेदार के बराबर उन्हें सवाब मिलता है 

इस महीने का पहला हिस्सा रहमत है । बीच का हिस्सा मगफरित है । और आखिरी हिस्सा जहन्नुम से आजादी है । उन्होंने कहा कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भुखा रहना नहीं है । बल्कि रोजा शरीर के सभी अंग का होता है । जैसे झूठ न बोलना , गीबत न करना, कान से बुरी बात न सुनना आदि बुराइयों से हर हाल में बचना जरूरी है । तभी मुकम्मल रोजा होगा ।

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