सिटी हलचल न्यूज़/बालमुकुन्द यादव
अमन और भाईचारा का मिशाल देखना हो तो पूर्णिया आए। क्या अमीर क्या गरीब हर वर्ग के चहेते बन गए है समाजसेवी निरंजन कुशवाहा।लोगो के अपील पर नगर निगम के मेयर पद चुनाव लड़ने की सिंर्फ हामी भरने मात्र से ही उन्हें अपार जनसमर्थन मिलना शुरू हो गया है। हालांकि अभी यह भविष्य के गर्त में है कि मेयर पद महिला होगा या पुरूष, मगर निरंजन कुशवाहा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे सामाजिक जीवन मे इससे पहले 15 वर्षो से लोगो का बिना भेदभाव से सेवा करते आ रहे है। निरंजन कुशवाहा कहते है नगर परिषद से नगर निगम बना हुआ करीब 15 वर्ष हो गया। निगम का वादा था कि 2020 तक सभी लोगों का पक्का मकान होगा, मगर आज शहरी क्षेत्र में हजारों लोगों का कच्चा फुस का घर है। जब वे किसी वार्ड मोहल्ले का दौरा करते है तो कच्चे मकान के पीछे एक ही कहानी सामने आती है, भ्रष्टाचार। अपने जनसंपर्क अभियान के तहत जहाँ भी जाते हैं फूस का घर और उनकी समस्या सुन द्रवित हो जाते है।
उन्होंने कहा कि जब तक धनबल बाहुबल को निगम चुनाव से आम जनता दूर नहीं करेगी तब तक भ्रष्टाचार खत्म नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे लोगो चुनाव को शुद्ध रूप से ब्यापार समझते है, पहले पूंजी लगाते है, फिर मुनाफा के साथ पैसा वसूलते है। श्री कुशवाहा का कहना है कि पूर्णिया शहर में नगर निगम की कई जमीन है जिसपर गरीबो के लिए आवास बनाया जा सकता था। मगर बार बार विभागीय निर्देश के बाबजूद निगम ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। यहाँ तक कि जो भी मेयर, डिप्टी मेयर बने उन्हें भी कभी गरीबो से सरोकार नहीं रहा। निगम क्षेत्र का विस्तार भी जहाँ तक किया गया है वहाँ जाने के लिए आज भी रास्ता नहीं है। उन्होंने बताया कि शहर का कई इलाका जैसे चिमनी बाजार, बेलौरी, बक्सा घाट, मरंगा, ततमा टोली के साथ विकास में भेदभाव की गई है
निरंजन कुशवाहा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पूर्णिया नगर निगम का जितने का बजट है उतने में तो 15 साल में संगमरमर का सड़क बन जायेगा। मगर इतने पैसे का होता क्या है इसका भी सही सही लेखा जोखा नहीं है। इन्ही सब बातों को जब निरंजन कुशवाहा जनता के बीच रखते है तो जनता भी अपने दिए टैक्स के पैसे के बारे में सोचती है। यही वजह है कि सच्चाई के साथ सभी बातों के रखने की वजह से निरंजन कुशवाहा लोगो की पहली पसंद बनते जा रहे है। हर वर्ग हर जाति धर्म के लोगो का समर्थन उन्हें मिलने लगा है। पूर्णिया की जनता भी अब जाति बंधन को तोड़कर विकास करने वाले उम्मीदवार की तलाश में जुट गई है, जिसमें निरंजन कुशवाहा फिट बैठ रहे है।



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