पूर्णिया/सिटीहलचल न्यूज़
मंगलवार को जिला पदाधिकारी राहुल कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में जिला स्तरीय कृषि टास्ट फोर्स की बैठक की गई। इस अवसर पर जिला कृषि पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला सांख्यकी पदाधिकारी, पंचायती राज पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। फसलों के अवशेष को खेतों में न जलाने तथा फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों तथा आमजन के बीच जागरूकता हेतु जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में अंतर्विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है- जिला पदाधिकारी- अध्यक्ष एवं जिला वन पदाधिकारी, अपर समाहर्ता प्रभारी आपदा, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास पदाधिकारी, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी, कार्यक्रम समन्वयक, कृषि विज्ञान आत्मा सदस्य तथा जिला कृषि पदाधिकारी सदस्य सचिव है
यह कार्य समूह फसल अवशेषों को खेतों में न जलाने के प्रति जागरूकता के लिए अंतर्विभागीय कार्य योजना हेतु दिशा-निर्देश देगा तथा उनके प्रगति की समीक्षा करेगा।कार्य समूह की बैठक धान फसल की कटाई के समय (अक्टूबर के अंतिम सप्ताह एवं नवम्बर के प्रथम सप्ताह) तथा गेहूॅ फसल की कटाई के समय (मार्च के अंतिम सप्ताह एवं अप्रैल के प्रथम सप्ताह) नियमित अंतराल पर आयोजित करेगा।यह देखा जाता है कि किसानों द्वारा मजदूरों के अभाव मे फसलों विशेषकर धान/गेहूॅ के कटनी के उपरांत फसल अवशेष को खेतों में ही जला दिया जाता है। किसानों द्वारा खेतों में फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी, स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है। जिला स्तर पर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय तथा कार्य एवं दायित्व की विवरणी निम्न प्रकार हैकृषि विभाग- जिला में आत्मा एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करना। खेतों में फसल अवशेष को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग, फसल के अवशेष को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचाना आदि, हैप्पी सीडर से गेहूॅ की बोआई का प्रत्यक्षण को प्रोत्साहन करना। पंचायत स्तर पर आयोजित किसाना चौपाल तथा कृषि विभाग के अन्य कार्यक्रमों में फसल अवशेष न जलाने के संबंध में किसानों को जागरूक करना। समय-समय पर समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से किसानों को जागरूक करना। फसल अवशेष न जलाने से संबंधित लघु वृतचित्र तथा रेडियो जिंगल के माध्यम से किसानों को जागरूक करना है। वन एवं पर्यावरण विभाग- फसल अवशेषों को जलाने से वायुमंडल में कार्बन-डाई-ऑक्साईड, कार्बन मोनो ऑक्साईड तथा भोलाटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड की मात्रा बढ़ती है, जिसके कारण वातारण प्रदूषित होता है, जो जलवायु परिवर्तन का एक कारण हो सकता है। इसके प्रति आम जन को जागरूक करना है। स्वास्थ्य विभाग- एएनएम एवं आशा कार्यकर्ता के माध्यम से फसल अवशेषों को जलाने के कारण मनुष्य विशेष कर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य यथा- श्वास लेने में तकलीफ, ऑख, नाक तथा गला में जलन तथा अन्य बीमारियॉ होने की संभावना है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करना है। शिक्षा विभाग- प्राथमिक, माध्यमिक उच्च एवं उच्चतर माध्यमिक के पाठ्यक्रम में सफल अवशेष को खेतों में न जलाने पर अध्याय। छात्र-छात्राओं के बीच फसल अवशेष न जलाने पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला आदि का आयोजन करना है
ग्रामीण विकास विभाग- जीविका दीदी तथा मनरेगा कार्यकर्ताओं के माध्यम से फसल अवशेष न जलाने के प्रति जागरूक करना हैै। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग- पशुपालकों को फसल कटनी के उपरांत खेतों में अवशेषों तथा खर-पतवार को भेड़ तथा बकरी को खेतों में चराने के लिए जागरूक करना है। भुसा का बेलर मशीन से फॉडर ब्लॉक बनाकर उपयोग करना है। सहकारिता विभाग- पैक्सों तथा प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना है। पंचायती राज विभाग- त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थानों तथा पंचायत सेवकों के माध्यम से फसल अवशेष के उपयोग पर किसानों को जागरूक करना है। सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग- विभिन्न प्रचार-प्रसार तंत्र के माध्यम से फसल अवशेष खेतों में न जलाने हेतु किसानों तथा आमजन को जागरूक करना है।