बी टेक की डिग्री लेकर स्टार्टअप से शुरू किया कॉपी उद्योग बेरोजगार युवा को स्वरोजगार के लिए कर रहे प्रेरित

पूर्णिया/सिटीहलचल न्यूज़

रूपौली प्रखंड के टीकापट्टी के किसान महेन्द्र यादव के घर पैदा लेकर जेएन यादव और नीरज कुमार दोनो भाइयों ने बीटेक की डिग्री मेहनत और लगन से हांसिल किया। जहां बड़े भाई जेएन यादव डिफेंस विभाग में अभियंता के पद पर कार्यरत है वहीं छोटे भाई नीरज कुमार ने गांव में ही स्वरोजगार करने की बात मन मे ठानी। नीरज ने कुछ वर्ष पूर्व पेट्रोल पंप खोल कर अपना व्यवसाय शुरू किया। लेकिन बड़े भाई जेएन यादव ने लगातार अपने मित्रों के सहयोग से अपने गांव टीकापट्टी के बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए नई -नई परियोजना पर काम छोटे भाई नीरज से शुरू करवाया।इस इलाके में कॉपी उद्योग नही देख कॉपी उद्योग टीकापट्टी में लगाने की बात को नीरज ने आत्मसात किया।इसके लिए नीरज ने नागपुर जाकर पूरी जानकारी हांसिल किया।फिर 25 से 30 लाख रुपये की लागत से नागपुर से कॉपी तैयार करने की मशीन खरीद किया।इतना ही नही नागपुर से ही एक ट्रेनर को भी लाया।जिससे कि कॉपी तैयार करने के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जासके ।पिछले तीन माह से नागपुर के प्रमोद महोपकर एक दर्जन युवाओं को कॉपी तैयार करने का गुर सीखा रहे है


 बाजार में आधी कीमत पर तैयार कॉपी उतारने की तैयारी 

नीरज बताते है कि कॉपी का पेपर पटना से मंगवा रहे है तो तमिलनाडु के शिवकाशी से कवर मंगवाया जाता है ।मशीन से एक घंटे में 2000 कॉपी तैयार किया जाता है। 5 से 7 लोगों की मशीन संचालित करने में जरूरत है ।जो सभी स्थानीय है।उसके बाद प्रत्येक प्रखंड में मार्केटिंग के लिए एक युवा को रखने की योजना है।नीरज आगे बताते है कि फिलवक्त जो कॉपी बाजार में बिक रहा है उसी तरह की कॉपी अब अपने उद्योग से आधी कीमत पर उपलब्ध करवाया जायेगा ।इससे यहाँ के बच्चों को कम कीमत पर कॉपी मिल जायेगी ।बच्चों के अभिभावक पर बजट का बोझ घटेगा ।तो वही दर्जनों बेरोजगार युवा को रोजगार भी मिल सकेगा


मक्का और बांस आधारित इथेनॉल प्लांट लगाने की योजना पर कर रहे है काम

नीरज बताते है कि मेघा कॉपी उद्योग लगा कर अपने ब्रांड की मार्केटिंग करना है। यह तो स्टार्टअप की शुरुआत है।आगे वे जल्द ही मक्का और बांस से इथेनॉल तैयार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। जल्द ही इथनॉल प्लांट लगा कर यहां के मक्का उत्पादक किसान और बांस उत्पादक किसानों को एक बहुत बड़ी सौगात दिया जाएगा। नीरज बताते है कि मैं खुद किसान का बेटा हूं। यहां के किसान मेहनत कर अपने खेत मे मक्का की अच्छी पैदावार कर लेते है।लेकिन बाजार में उचित कीमत नही मिलने के कारण किसानों की मेहीनत पर पानी फिर जाता है।उन्हें अपने खेत में उपजाए मक्के को औने- पौने दाम में स्थानीय व्यापारियों के हाथों बेचना पड़ता है। साथ ही कोसी सीमांचल के इलाके में बांस की खेती से किसान जुड़े हुए है।यहां का बांस पूरे भारत मे जाता है ।लेकिन बांस का उचित कीमत किसानों को नही मिल पाता है।यदि टीकापट्टी में इथनॉल प्लांट लगता है तो स्थानीय किसान मक्के और बांस की खेती से अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।नीरज की सोच को इलाके के लोग सलाम कर रहे है।युवाओं के बीच नीरज की सोच एक प्रेरणा बन कर सामने आया है ।आज दर्जनों युवा नीरज से मिलकर स्वरोजगार के गुर सीख कर अपनी जिंदगी संवारने में जुटे गए है ।

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