बाअकीदत अदा की गई रमजान के तीसरे जुमे की नमाज

फलका से आरफीन बहार की रिपोर्ट

कटिहार:फलका प्रखंड क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव सालेहपुर,महेशपुर, राजधानी, चातर, मोरसंडा, भरसिया, मधेली,लोहजर आदि गांवों के मस्जिदों में माह-ए-रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अकीदत के साथ अदा की गई। नमाज के बाद लोगों ने  अपने देश के लिए अमन शांति की दुआएं मांगी।माह-ए-रमजान के तीसरे जुमे को लेकर मस्जिदों में काफी भीड़ देखी गई। मस्जिद नमाजियों से खचाखच भरा हुआ था।माह-ए-रमजान के तीसरे जुमे को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों में खासा उत्साह देखा गया। नमाज से पहले फलका बस्ती के बिस्मिल्लाह मस्जिद के इमाम मौलाना सादिक ने अपनी तकरीर में कहा कि रमजान का यह महीना गुनाहों के तपिश को ठंडा करने के लिए आता है


हदीस में है कि जन्नत में एक दरवाजा है जिसका नाम बाब-ए-रय्यान है कयामत के दिन उस दरवाजे से सिर्फ रोजेदार लोग गुजरेंगे। रमजान रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना है। अपनी तकरीर में उन्होंने आगे कहा कि रमजान का तीन अशरा होता है, जिसमें दो अशरा खत्म हो गया है और तीसरा अशरा शुरू है। रमजान के तीसरे अशरे की पांच पाक रातों में शब-ए-कद्र को तलाश किया जाता है।ये रात 21वीं 23वीं 25वीं 27वीं 29वीं की रात होती है। इस रात को अल्लाह की इबादत करने वाले मोमिन के दर्जे बुलंद होते हैं

मोमिन के गुनाह को बख्श दिये जाते हैं। दोजख की आग से निजात मिलती है। आगे उन्होंने अपनी तकरीर में कहा कि वैसे तो रमजान में अल्लाह की रहमतों और बरकतों की बारिश होती है। यह अल्लाह की रहमत का ही सिला है की रमजान में एक नेकी का बदला 70 नेकियां नामा-ए-आमाल में जोड़ा जाता है।लेकिन शब-ए-कद्र की रात की विशेष रात में इबादत, तिलावत और दुआएं कबुल व मकबुल होती है।

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