पूर्णिया/बालमुकुंद
बिहार राज्य संविदा कर्मी महासंघ के आह्वान पर स्थानिये थाना चौक पर संविदा कर्मियों ने एक दिवसीय धरना दिया। धरना में बिहार के सभी विभागों में कार्यरत संविदा, आउटसोसिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी के सभी संघों के समूह के रूप में बिहार राज्य संविदा कर्मी महासंघ का गठन हुआ हैं जिसमें 45 संघ ने अपनी एकजुटता दिखाई है। संघ के नेताओ ने बताया कि महासंघ अपनी एक सूत्री मांग "सेवा स्थायी एवं वेतनमान" हेतु शांतिपूर्वक दिनांक-24 अप्रैल 2022 को जिला स्तर पर रैली / पंचायत कर रहा है
एवं 01 मई 2022 (विश्व मजदूर दिवस) को पटना में महारैली / महापंचायत आयोजित करेगा, जिसमें बिहार के 11 लाख संविदा, आउटससिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी एवं उनके आश्रित परिवार भाग लेंगे।बिहार सरकार के सभी विभागों में 70 प्रतिशत से लेकर 100 ( प्रतिशत) तक संविदा, आउटससिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी कार्यरत है जो विगत 15 साल से अल्पसुविधा पाकर राज्य सरकार के विभिन्न कार्यालयों में बेहतर ढंग से कार्य कर कई कल्याणकारी योजना को सफल बनाने में राज्य सरकार को योगदान कर रहे है।उन्होंने बताया कि माननीय उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र एवं राज्य सरकार को आदेश दिया है कि संविदा एवं आउटसॉसिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी को अल्प मानदेय एवं अन्य अल्प सुविधा देकर लंबे समय तक सरकारी कार्य नहीं ले सकते हैं
उनकी सेवा स्थायी कर वेतनमान देना होगा परन्तु केन्द्र से लेकर राज्य सरकार द्वारा बिहार के संविदा, आउटसोसिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी की सेवा स्थायी कर वेतनमान नहीं दे रही है। जबकि भारतीय संविधान में समानता का अधिकार है। संविदा, आउटसोंसिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी के लिए महामहीम राज्यपाल महोदय के अनुमोदित एवं बिहार गजट में प्रकाषित राज्य सकरार द्वारा निर्गत पत्र / संकल्प / आदेष का अनुपालन स्वंय राज्य सरकार एवं उनके पदाधिकारी नहीं कर रही है स्थिति इतनी दैनिय हो गई है कि बाबा भीमराव अम्बेदर एवं अन्य महापुरूषों जयंती के अवकाष के दिन में भी संविदा, आउटसोसिग एवं अवर्गीकृत कर्मी को नौकरी से हटा देगें का धमकी देकर बलपूर्वक कार्य लिया जा रहा है।
अब तो रविवार (अवकाश दिन) में भी कार्य लिया जाता है। आज शोषण का शब्द भी अपने अर्थ पर शर्मसार हो रहा है।बिहार में प्रत्येक 10 घरो पर एक या दो की संख्या में संविदा, आउटसोसिंग एवं अवर्गीकृत कर्मी मिलेंगे जिनके आश्रित परिवार की कुल जनसंख्या 44 लाख है जिनका राज्य सरकार ने विगत 15 साल से लगतार समाजिक, आर्थिक एवं मानसिक शोषण कर रही है।