सहरसा से बालमुकुंद यादव की रिपोर्ट
सहरसा : जिले में फइलेरिया उन्मूलन के लिए सवर्जन दवा सेवन अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर दवा खिलाएंगी । इसके लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. रविन्द्र कुमार ने कहा फइलेरिया नियंत्रण के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए स्थगित कर दिया गया था। अब यह अभियान सितम्बर माह में चलाया जायेगा। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए आज जिला स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टी.ओ.टी.) कार्यक्रम चलाया गया एवं माइक्रोप्लान बनाने के निर्देश जारी किये गये हैं। टी.ओ.टी. कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार द्वारा किया गया। इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप, डब्लूएचएच के जोनल कार्डिनेटर डा. दिलीप कुमार, डीसीएम राहुल किशोर, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रक पदाधिकारी डा. रविन्द्र कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार राजेश कुमार, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी प्रवीण कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ नसरीन बानो, डीईओ अशफाक उल्लाह सहित प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी, भीबीडीएस, बीसीएम केयर इंडिया के केबीसी एवं प्रशिक्षण ले रहे मास्टर ट्रेनर मौजूद थे
आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर खिलायेंगी दवा.
सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने बताया इस अभियान में आशा कार्यकर्त्ता घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलायेंगी। कोरोना महामारी को देखते हुए इसके लिए आशा कार्यकर्त्ता लाभूकों को कटोरे में दवा देंगी एवं अपने सामने दवा का सेवन करना सुनिश्चित करेंगी। एक दल द्वारा एक दिन में चालिस से अधिक घरों पर जाकर लक्षित समूह को अपने सामने दवा का सेवन कराना सुनिश्चित करेंगी। यहां तक कि इस अभियान के तहत किसी भी दिन छूटे हुए लोगों के बीच दुबारा जाकर आशा कार्यकर्त्ता दवा का सेवन कराना सुनिश्चित करेंगी। इस अभियान के सफलता के लिए उचित माध्यमों से सामुदायिक स्तर पर फाइलेरिया एवं सर्वजन दवा सेवन (एम.डी.ए.) के बारे में जागरूकता भी फैलायी जाएगी
फाइलेरिया मच्छड़ों के काटने से होता है-
सिविल सर्जन बताया फाइलेरिया जिसे हम हाथीपाँव रोग के नाम से भी जानते हैं| इससे ग्रसित हो जाने पर मानव शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है, जो क्यूलेस नामक मच्छड़ के काटने से फैलता है। समान्यतः बचपन में होने वाला यह रोग लासिका प्रणाली को क्षति पहुँचाता है। इससे होने वाली विकलांगता पैरों में स्थायी सूजन हो जाना, अंडकोष की थैली में सूजन आदि से मानव की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।