कटावरोधी कार्य बंद, सुहिया के ग्रामीणों में आक्रोश: विस्थापन की आशंका फिर गहराई

 किशनगंज /सिटी हलचल न्यूज 

टेढ़ागाछ /किशनगंज। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के  चिल्हनियाँ पंचायत अंतर्गत सुहिया हाट स्थित वार्ड नंबर 9 में रेतुआ नदी के किनारे हो रहे कटावरोधी कार्य में शिथिलता को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त  है। बताया जाता है कि 10 दिन पूर्व से कार्य आरंभ किया गया था। इस कार्य को पिछले दो दिनों से रोक दिया गया है।जिससे स्थानीय ग्रामीणों में संवेदक एवं विभागीय अधिकारियों के प्रति नाराजगी बढ़ गई है। ग्रामीणों ने बताया कि इस समय नदी में पानी बहुत कम है, जो कार्य के लिए अनुकूल समय है। लेकिन इसके बावजूद कार्य रोक दिया जाना समझ से परे है। उनका कहना है कि जब नदी में जलस्तर बढ़ेगा, तब यह कार्य पूरा करना असंभव हो जाएगा और हालात भयावह हो सकती है। स्थानीय ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते कटावरोधी कार्य पूर्ण नहीं किया गया तो सुहिया गांव, राजस्व हाट, उत्क्रमित मध्य विद्यालय सुहिया हाट, पैक्स गोदाम, राइस मिल, मस्जिद एवं मंदिर समेत कई अहम संरचनाएं खतरे में पड़ जाएंगी


ज्ञात हो कि वर्ष 2024 में भी रेतुआ नदी के कटाव से दर्जनों घर नदी में विलीन हो गया। आज भी कई विस्थापित परिवार मटियारी स्थित बाढ़ आश्रय भवन में बदतर हालात में जीवन बिता रहे हैं। इनकी सुधि न तो जनप्रतिनिधियों ने ली और न ही प्रशासन ने ही  कोई ठोस पहल की।विस्थापित परिवारों का कहना है कि अगर जल्द ही उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था कर पुनर्वास नहीं कराया गया, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। संबंधित अधिकारी भी निरीक्षण कर जल्द संवेदक को दिशा निर्देश देकर कटावरोधी कार्य नहीं चालू कराया तो वे स्थानीय प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे।ग्रामीणों ने बताया कार्यस्थल पर एस्टीमेट बोर्ड नहीं लगाया गया है। संवेदक एवं संबंधित  कार्यपालक अभियंता की  मिली भगत से कार्य में शिथिलता बरती जा रही है

  स्थानीय लोगों में बीरबल अंसारी, महेंद्र शर्मा, तमीज आलम, मुकेश शाह, सत्यनारायण पासवान, सज्जन लाल हरिजन, शंकर माझी, दीपेश शाह, मनोज यादव, बबलू अंसारी, खलील अंसारी, बालेश्वर यादव, अतीक अंसारी,अनिरुद्ध प्रसाद साह, निजामुद्दीन, वीरेंद्र प्रसाद यादव, सत्यम शाह, मानिक माझी, राजेंद्र शर्मा, हलेश्वर ऋषिदेव, विनोद ऋषिदेव सहित दर्जनों लोगों ने  जिला पदाधिकारी से मांग की है,कटावरोधी कार्य की भौतिक सत्यापन हो और संवेदक की लापरवाही पर  सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही कटावरोधी कार्य को तत्काल शुरू कर जल्द पूर्ण कराया जाए, ताकि भविष्य कटाव के कारण दर्जनों परिवार विस्थापित होने से बच सकें।

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