पूर्णियां/सिटी हलचल न्यूज
इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए अध्यक्ष रजनीश टुडू ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण का जो काम चल रहा है उसके मद्देनजर जो बिहार में जमीन सर्वे चल रहा है सर्वे के जो कुछ तकनीकी पहलू है की जमीन कैसे बचाएं उसे पर जागरूक करने के लिए यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। एससी/एसटी समाज के लोग कम पढ़े लिखे हैं उन्हें जागरूक करने के लिए यह आयोजन रखा गया है। आगे उन्होंने कहा कि सर्वे जब-जब हुआ है तब-तब सर्वे का अनुभव कहता है कि हमारे हाथ से जमीन छीनी गई है। बीच में सरकार ने ऑपरेशन दखल देहानी चलाया था उसमें भी कार्यक्रम पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। जमीन का पर्चा मिल तो गया
लेकिन दखल किसी ओर लोगों का है। कब्जा लेने के लिए आज हम लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। हमारे लोगों को जमीन का पट्टा बांध दिया गया है लेकिन कब्जा नहीं मिल पाया है। अभी हम लोगों के पास कागजात नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि वैसे लोग जिनके पास कागजात नहीं है, जिनके पास कागजात है, उनको तमाम पहलुओं से अवगत कराने के लिए उनको जागरूक करने के लिए हमने सर्वे के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया है। आज के इस कार्यक्रम में दूर दराज से सैकड़ो की संख्या में लोग आए हुए हैं। आगे हम लोग गांव-गांव जाकर इस अभियान को चलाएंगे।
पूर्णियाँ। रविवार 20 अक्टूबर को पूर्णिया जिले के टैक्सी स्टैंड अंबेडकर सेवा सदन में बिहार आदिवासी अधिकार फोरम के तत्वाधान में एससी/एसटी वर्ग के रेयतों के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में विशेष कर भूमि सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त संबंधी चर्चाएं हुई। इस शिविर में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश राजनीतिक सलाहकार (जदयू) एस के विमल, अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक, मनोज पासवान, प्रमुख वक्ता के रूप में मायाराम उरांव, युगल हंसदा, बाबूलाल मरांडी, अरविंद मुर्मू, सुबोध टुडू, अध्यक्ष एवं संचालन रजनीश टुडू (अधिवक्ता) एवं मुख्य अतिथि विशेषज्ञ, जनजातीय मामले (पटना)प्रमोद कुमार सिंह उपस्थित थे
इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए अध्यक्ष रजनीश टुडू ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण का जो काम चल रहा है उसके मद्देनजर जो बिहार में जमीन सर्वे चल रहा है सर्वे के जो कुछ तकनीकी पहलू है की जमीन कैसे बचाएं उसे पर जागरूक करने के लिए यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। एससी/एसटी समाज के लोग कम पढ़े लिखे हैं उन्हें जागरूक करने के लिए यह आयोजन रखा गया है। आगे उन्होंने कहा कि सर्वे जब-जब हुआ है तब-तब सर्वे का अनुभव कहता है कि हमारे हाथ से जमीन छीनी गई है। बीच में सरकार ने ऑपरेशन दखल देहानी चलाया था उसमें भी कार्यक्रम पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। जमीन का पर्चा मिल तो गया
लेकिन दखल किसी ओर लोगों का है। कब्जा लेने के लिए आज हम लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। हमारे लोगों को जमीन का पट्टा बांध दिया गया है लेकिन कब्जा नहीं मिल पाया है। अभी हम लोगों के पास कागजात नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि वैसे लोग जिनके पास कागजात नहीं है, जिनके पास कागजात है, उनको तमाम पहलुओं से अवगत कराने के लिए उनको जागरूक करने के लिए हमने सर्वे के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया है। आज के इस कार्यक्रम में दूर दराज से सैकड़ो की संख्या में लोग आए हुए हैं। आगे हम लोग गांव-गांव जाकर इस अभियान को चलाएंगे।