मूर्ती कला में निपुण बेटी पिता की बनी मददगार कंधे को मजबूत कर संवार रही जिन्दगी

कोढ़ा/ शंभु कुमार 
जहां लोग बेटियों को बोझ समझते हैं वही कोढ़ा  प्रखंड की बेटियां पिता के कामों में सहयोग कर नये कीर्तिमान स्थापित कर समाज में बेटियां बोझ नहीं होती का संदेश दे रही है और अन्य लड़कियों के लिए भी नजीर साबित हो रही है कोढ़ा प्रखंड के महिनाथपुर पंचायत निवासी कलानंद मालाकार की कुल चार पुत्रियां हैं जिसमे बड़ी बेटी व संझली बेटी दो पुत्रियां मनीषा व रीमा कुमारी विगत कई वर्षों से विभिन्न प्रकार की भगवान की प्रतिमा को अंतिम रूप से तैयार कर अपने पिता के कंधे को मजबूत कर अपनी जिन्दगी संवारने में जुटी है साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त व समृद्ध बन रही है।उनकी पुत्री ने बताई की बचपन में ही हमारी मां मेरे हम सब बहनो व पिता को छोड़कर कर स्वर्गवास हो गई थी तब से घर चलाने का सारा बोझ हमारे पिता के कंधे पर सभी परिवार का बोझ हो गया चार बहनों के खानें , कपड़े, पढ़ाई दवाई व अन्य घरेलू खर्चें जुटा पाना मुश्किल हो रहा है साथ ही मेरे पिता के पिछे चार पुत्री की शादी विवाह के बारे में लगातार चिंतित रहते थे मेरे कोई भाई भी नही था जो पिता के कामों में हाथ बंटाते।तब से मेरे पिता अक्सर बीमार रहने लगे अपने बिमारी की बोझ के साथ हम सभी बहनों की पढ़ाई लिखाई दवाई व अन्य घरेलू खर्चें का बोझ पिता झेलना पड़ रहा था।इसी बीच हम सभी बहनों ने पिता को सहयोग पहुंचाते हुए विगत 18 वर्षों  पिता के साथ मूर्ति  निर्माण कार्य में मदद को हाथ बढ़ाया  जो आज मेरी मेहनत रंग लाकर हम सभी बहनें मुर्ती निर्माण कला में निपुण होकर विभिन्न प्रकार के देवी  देवताओं के प्रतिमा का निर्माण कार्य पिता को आर्थिक रूप से सशक्त व समृद्ध बनाने के कार्य में सफलता तक ले गई। उक्त बातें उनकी पुत्री ने कोढ़ा नगर पंचायत के मुख्य बाजार चौक गेराबारी में पुराने अस्पताल परिसर के सामने आगामी आयोजित होने वाली विद्या की देवी मां सरस्वती पूजा के प्रतिमा को अंतिम रूप देने के दौरान बताई । 
इस क्रम में उनके पिता ने बताया कि हमारे इस रोजगार में हमारे सभी बेटियों का अहम योगदान रहा है उनके ही बलबूते आज मैं मूर्ति  निर्माण कर अपना जीवको पार्जन खुशहाल जीवन के साथ चला रहे हैं साथ ही सभी बेटियों को शिक्षा भी प्राप्त करा रहे हैं। हमें सभी बेटियों पर काफी गर्व है जो यहां तक के इस मुकाम तक पहुंचने का काम किया मूर्ति निर्माण कार्य में अब हमें सभी पर्व त्योहार में अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है। साथ ही उनके पिता ने समाज को संदेश देते हुए बताया कि बेटियां बोझ नहीं होती बेटियां को किसी भी क्षेत्र में आप जिस हुनर में निपुण होते हैं उसे हुनर का कला सिखाते हुए अपनी बेरोजगारी को मिटाने के साथ-साथ आप भी आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध हो सकते हैं।

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