कटिहार/आकिल जावेद
जिले के कदवा प्रखंड में महानंदा नदी धीरे-धीरे हर वर्ष की तरह विकराल रूप धारण कर रही है। निचले क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से प्रखंड के कई पंचायतों में भय का माहौल व्याप्त है। कुछ क्षेत्रों में कटाव तेजी से हो रही है।शिकारपुर पंचायत के माहीनगर गांव में महानंदा नदी ने कई परिवारों के आशियाने उजाड़ दिए। माहीनगर गांव के मसूद आलम, मरगूब आलम, आफताब, सलीम और आसपास के कई परिवारों के घर नदी में समा गया
दरवाजे में लगे सैकड़ों पेड़ और घर नदी में गिर गया। कई लाखों का नुकसान पलक झपकते ही हो गया। अब उनका परिवार पूरी तरह से बेघर हो गया है।आजादी से पूर्व जन्म में मसूद आलम का ताल्लुक एक संपन्न और जमींदार घराने से हुआ करता था लेकिन महानंदा नदी ने कई बार घर उजाड़ दिया। उनके परिवार ने 1955 में उन्होंने माहीनगर हाई स्कूल के लिए जमीन दान दी थी और 1946 में भी मिडिल स्कूल के लिए जमीन दी थी। लेकिन वह सब की नदी में खत्म हो गया
मसूद आलम का कहना है कि बाढ़ आने से पूर्व से ही विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन देकर फ्लड फाइटिंग का काम शुरू करवाने को कहा गया। लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला नतीजा यह है कि आज गांव धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।जिला परिषद पति मुंतशिर अहमद ने सिटीहलचल न्यूज से कहा कि उनके क्षेत्र में बाढ़ के लिए सरकारी स्तर पर कोई भी पहल नहीं की जा रही है। महीनगर गांव को बचाने के लिए भी बाढ़ नियंत्रण विभाग का रवैया उदासीन रहा जिसकी वजह से लोग बेघर हो रहे हैं।ग्रामीणों ने सरकार से जल्द से जल्द बाढ़ राहत कार्य शुरू करने की मांग की है।