शांति व अकीदत के साथ अदा की गई जुमे की नमाज

 


पूर्णिया/सनोज

अमौर: रमजान माह के अलविदा जुमे की नमाज शांति व अकीदत के साथ अदा की गई। नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में नमाजियों का सैलाब उमड़ पड़ा। मस्जिदों में जगह न मिलने के कारण छतों व बाहर रास्तों पर शामियाने लगाकर नमाज अदा की गई। महिलाओं ने भी घरों में जुमे की नमाज अदा की।


नमाज से पूर्व मौलानाओं ने रमजान की फजीलत बयां की। कारी नाजिम कासमी ने कहा कि रमजान के महीने में अल्लाह की बहुत ज्यादा रहमतें, बरकतें उतरती हैं। इस्लाम के पांच स्तंभों में से जकात भी इस्लाम का एक स्तंभ है। मुसलमान जिस तरह रोजे रखते हैं, तरावीह पढ़ते हैं, सदका व खैरात देते हैं, इसी तरह से रोजा, नमाज, हज फर्ज है, उसी तरह से माल की जकात निकालना भी फर्ज हैअलविदा जुम्मे मे विभिन्न पंचायतो से लेकर विभिन्न गांव से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ  प्रखंड मुख्यालय आशा तुल उलूम के जमा महजीद मे हाफिज एहशान  ने अकीदत के साथ अलविदा जुम्मे की नमाज अदा की और खुदा से मगफेरत व बरकत के साथ अमन चैन की दुआ मांगी।


इस मौके पर हाफिज एहशान ने माह ए रमजान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रमजान बेहद पाक माना गया है और अल्लाह की रहमतों बरकतों का महीना जाता है। चांद दिखने के साथ इसका समापन होता है । उन्होंने कहा कि अल्लाह तबारक बतआला  का मोमीनो  पर बड़ा एहसान है और इसका जितना शुक्र अदा किया जाए कम है। कि उसने अपने फ़जल और करम से रमजान जैसा पाक और मुबारक महीना  हमें अता  फरमाया है।  इस महीने एक ऐसी बरकतों और रहमतों से हमें नवाजा है।

जिस महीने का हर लम्हा इबादत ए खुद बंदी में गुजरता है। रोजा इबादत इफ्तार इबादत, इफ्तार के बाद तरावी का इंतजार इबादत ,तरावी पढ़कर शहरी के इंतजार से सोना इबादत, शहरी खाना इबादत यानी हर घड़ी खुदा की शान नजर आता है। और यह रहमत बरसती है।

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