काझी के भागवत् कथा में मनाया गया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

 


पूर्णिया/डिम्पल सिंह

बनमनखी: प्रखंड क्षेत्र के काझी हृदयनगर पंचायत स्थित ब्राह्मण टोला में सनातन भगवत परिवार एवं जनसहयोग से संगीतमय श्रीमद् भगवत् कथा भक्ति ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। आयोजन में वृदांवन से आये कथावाचक आचार्य व्यास अवधेश कृष्ण कुंंदन जी महराज ने छठे दिन भगवान् श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के बारे में श्रद्धालुओं को बताया जहां लोगों ने धूमधाम के साथ जन्मोत्सव को मनाया। कथावाचक महाराज जी ने जैसे हीं जन्म की कथा सुनाना आरंभ किया तो भक्त जमकर झूम उठे। श्री महाराज ने कहा जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ अपने आप जेल के ताले टूट गये और सभी पहरेदार अचेत हो गये। वासुदेवजी व देवकी बंधन मुक्त हो गये। यह सब प्रभु की कृपा से ही संभव हो सका। 


मौके पर स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार के मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि का काफिला पहुंचकर भागवत् महापुराण को सुना।

भक्ति भाव से होता है प्रभु का दर्शन :-

जब-जब होई धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथावाचक ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतो व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग बताया। उन्होंने कहा जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहता है तब प्रभु का दर्शन होते हैं। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उन्होंने कहा चौरासी लाख योनियों के भटकने के बाद जीव को मानव रूपी तन की प्राप्ति होती है। मगर अज्ञानी मनुष्य इसकी महवत्त को नहीं पहचान पाता है


। मनुष्य लोभ, मोह, अहंकार, मिथ्या, छल-प्रपंच आदि पाप कर्मों में अपने शरीर को नष्ट कर देते हैं। उन्होंने कहा भागवत् सुनने से बैंकूण्ठ अर्थात मोक्ष की प्रप्ति होती है। भागवत का यग्य करने से इलाका का वातवरण शुद्ध होता है. देवता के प्रसन्न होने से देवत्व कि प्रप्ति होती है। उन्होंने कहा कहा कि कलियुग में भागवत् कथा का श्रवण करना सबसे पुण्यकारी काम माना गया है। भागवत कथा का श्रवण करने का अवसर भी लोगों को प्रभु की इच्छा से मिलती है। उन्होंने कहा कि जो पुण्य हमें गंगा स्नान, काशीवास, जीवन पर्यत तीर्थो पर भ्रमण करने से प्राप्त होता है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे न करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दें। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे।

कथावाचक के भजनों पर झूमें श्रद्धालु :-


इस दौरान भगवान् श्री कृष्ण की वेश में नन्हें बालक के दर्शन करने के लिए लोग लालायित नजर आ रहे थे। कथावाचक श्री महाराज ने कहा वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण को जोकि इस संसार के पालन हार है एक टोकरी में लेकर अथाह यमुना नदी को पार कर यशोदा मां और नंद के पास छोड़ जाते हैं। जिसकी कानो-कान खबर कंस को नहीं लग पाती। यहां भगवान् श्रीकृष्ण के गोकुल में नंद के आनंद भयों जय कन्हैया की.. हाथी घोड़ा पालकी...!


नंद घर आनंद भये...! भये प्रकट कृपाला दिन दयाला...! बाजे बाजे रे बधाई...! सहित अनेकों भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं ने माखन मिश्री का भोग लगाकर जमकर उत्सव मनाया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से सुभाषचंद्र झा, धीरेंद्र नारायण झा, नवीन मिश्र, दिलीप झा, संजीव झा, नरेंद्र कुमार झा, सोहन कुमार, ब्रजेश मिश्र, अनित कुमार मंटी, अमित कुमार, विलास राम, सत्यदेव झा, मिथिलेश झा, कोशलेश झा के अलावा सैकड़ों ग्रामीण जुटे हुए हैं।

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