पूर्णियां से बालमुकुंद यादव की रिपोर्ट
पूर्णियां : बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रमंडलीय प्रभारी प्रोफेसर आलोक कुमार ने नीट (राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा-(मेडिकल)) में ओबीसी कोटा 27% को लागू किए जाने को लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन के दबाव में आकर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लिया गया फैसला बताया। प्रोफेसर आलोक ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में सवर्ण आरक्षण के मामले में 10% आरक्षण को उच्चतम न्यायालय में दायर लंबित मामले के बावजूद तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया ।जबकि वर्ष 2015 से लगभग 16000 ओबीसी छात्र को उच्चतम न्यायालय में लंबित मामला का बहाना बनाकर मेडिकल कॉलेज में नामांकन से वंचित कर दिया गया। जिसकी भरपाई अब मुश्किल है
प्रोफेसर आलोक ने ओबीसी को नीट में आरक्षण के लिए एकमात्र तमिलनाडु के डीएमके सरकार के मुख्यमंत्री एम०के० स्टालिन को क्रेडिट दिया । जिनके प्रयास से मामला मद्रास हाई कोर्ट में ले जाने के पश्चात फैसला ओबीसी छात्रों के हक में हुआ। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के निर्णय को सही ठहराते हुए केंद्र सरकार को इसे लागू करने पर मजबूर किया। प्रोफेसर आलोक ने उत्तर भारत के ओबीसी नेताओं को आरे हाथों लेते हुए कहा कि बिहार, यूपी, एवं मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के ओबीसी नेता गन सिर्फ जातियों को इस्तेमाल कर सत्ता में बने रहने का फार्मूला बनाते रहे हैं। जिस कारण आजतक मंडल कमीशन की सिफारिश भी आधा अधूरा लागू हो पाया
इन नेताओं ने भाजपा- कांग्रेश जैसी आरक्षण विरोधी पार्टियों को सत्ता में बैठा कर अपना निजी स्वार्थ साधने का काम किया। आज देश की सारी भर्ती को रोककर निजी क्षेत्रों में सार्वजनिक कंपनी को बेच कर आरक्षण को समाप्त कर एससी -एसटी एवं ओबीसी को नौकरी से वंचित कर दिया गया। वर्ष 2020 तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 8.72 लाख स्वीकृत पद रिक्त पड़े हुए हैं। प्रोफेसर आलोक ने वर्तमान केंद्र सरकार से ओबीसी की जातीय जनगणना अविलंब आने वाले जनगणना में शामिल करने की मांग किया है इस मामले को कई बार कांग्रेस एवं भाजपा सरकार घोषणा के बावजूद लागू करने मे आनाकानी कर रही है।



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