छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान की लोक संस्कृति एवं लोकगीतों को सुनकर झूम उठे दर्शक

 प्रेस विज्ञप्ति 

सिटी हलचल न्यूज 

संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की स्वायत्त संस्था के तत्वावधान  में चार दिवसीय लोक व जनजातीय कलाकारों का उत्सव के दूसरे दिन बुधवार को पूर्णिया के  प्रेक्षागृह  सह आर्ट गैलरी में राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति एवं लोकगीतों की  प्रस्तुति से दर्शन झूम उठे।कार्यक्रम के प्रथम सत्र में संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित राजस्थान के अंतरराष्ट्रीय लोक  कलाकार गफरुद्दीन मेवाती जोगी ने महाभारत की प्रसंग को दोहे के रूप में प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया पांडून का कड़ा के लोकप्रिय दोहे सोतो से जाग बालम जी बात सुनो मेरी को सरस अंदाज में प्रस्तुत किया और वाहवाही बटोरी । वही कार्यक्रम के प्रारंभ में बम लहरी सुनाकर  दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में 

ख्याति प्राप्त लोक कलाकार पूनम तिवारी ने छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को भाव नृत्य के साथ प्रस्तुत किया। सबसे पहले भगवान विष्णु के बराह रूप का पूजन करते हुए गणपति की वंदना प्रस्तुत की। उसके बाद छत्तीसगढ़ी लोकप्रिय सुआ गीत गौरा गौरी के गीत एवं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध नृत्य राउत नाचा का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। उन्होंने प्रसिद्ध भजन चोला माटी का हे राम प्रस्तुत कर लोगों की आंखें नम कर दी


  कार्यक्रम के अंत में  सहयोगी कलाकारों के साथ लोक कलाकार गफरुद्दीन मेवाती जोगी एवं पूनम तिवारी को वीवीआईटी के निदेशक राजेश मिश्रा, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मिश्रा व संगीत नाटक अकादमी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य संजय चौधरी चौधरी ने अंग वस्त्र से सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी कुमार अभिजीत ने किया।   मौके पर वरिष्ठ रंगकर्मी उमेश आदित्य, अवधेश गुप्ता, अमित रौशन, कथाकार चंद्रकांत राय विश्वजीत कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह समेत शहर के सैकड़ों बुद्धिजीवी, रंगप्रेमी, विभिन्न संस्थान विभिन्न संस्थाओं के छात्र प्रेक्षागृह में इस उत्सव में शामिल थे।  विदित हो कि इस उत्सव का समापन 2 मई 2025 को होगा।

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