रानी सती मंदिर में धूमधाम से मनाया गया दो दिवसीय रानी सती दादी का भादवा महोत्सव

 


वर्ष 1968 से साल में दो बार मनाया जाता है रानी सती दादी का भादवा महोत्सव, देश विदेश से आते हैं लोग

- मां के दरबार में आने वाले हर भक्तों की होती है मनोकामना पूरी, मां को लगता है छप्पन भोग

पूर्णिया/सिटिहलचल न्यूज़

 कसबा स्थित ऐतिहासिक रानी सती मंदिर के प्रांगण में रानी सती दादी का भादवा महोत्सव काफी धूमधाम से सोमवार की संध्या मनाया गया। जिसमें अग्रवाल समाज की महिलाओं ने बढ़-चर्ढ कर हिस्सा लिया। याद रहे की 1968 से साल में दो बार दादी जी का भादवा महोत्सव तथा मार्सिस महोत्सव मनाया जाता रहा है। महोत्सव में दादी मां की मंदिर को बल्ब एवं फूल पत्तियों से आकर्षित किया जाता है। भादवा महोत्सव में काफी संख्या में भक्त जनों ने पहुंचकर दादी मां की पूजा अर्चना की और अपने मनोकामनाओं की पूर्ण करने हेतु दादी मां से प्रार्थना की, इस भादवा महोत्सव के मुख्य जजमान ट्रस्टी श्री सुशील कुमार लट थे। महोत्सव में मंगल पाठ कीर्तन महा आरती छप्पन भोग एवं मां को चुनरी चढ़ाया गया। इस कार्यक्रम में खासकर अग्रवाल समाज की महिलाएं दूर जरा इलाके से आई मंदिर पहुंचकर मां की पूजा अर्चनाएं कर मिन्नते मांगी। मंदिर के पुजारी विजय पंडित कहते हैं की मां के दरबार में जो सच्चे मन से भक्तजन भक्ति कर मां से प्रार्थनाएं करती है उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस कार्यक्रम में बिहार के साथ-साथ पश्चिम बंगाल एवं पड़ोसी देश नेपाल इत्यादि जगहों से श्रद्धालु पहुंचे थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से सुनील कुमार लाठ, पारस जेजानी, धर्मेंद्र कुमार लाठ, महेंद्र रुंगटा, प्यूष जेजानि, बिनोद कुमार लाठ, मोहन कुमार लाठ, श्याम सुंदर रूंगटा आदि ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। बताते चले कि कसबा निवासी स्वर्गीय नंदलाल लाठ कटिहार गए थे वहां भक्ति नारायण प्रसाद जी नारायण प्रसाद झुनझुनवाला मां की ज्योत जगाई थे। ज्योत से प्रवाहित होकर स्वर्गीय लाठ ने भक्त जी से अनुरोध किया कि वह कसबा आवे उनके अनुरोध पर भक्त जी कस्बा उनके घर आए और मां की जोत जगाए। वहां मां दादी ने ज्योति में अपने भक्त को झुनझुनवाला को प्रेरणा दिया कि मेरा एक भव्य मंदिर कसबा में बने मां के आदेश के बाद सेठ जेठमल ताराचंद लाठ एवम् विशेश्वर लाल नागरमल जेजानी ने संयुक्त रूप से सतनारायण मंदिर को जमीन दान देकर श्री रानी सती मंदिर के निर्माण में सहयोग किया। उसके बाद एक कमेटी बनाई गई जिसके प्रथम अध्यक्ष स्वर्गीय ताराचंद लाठ बने। मंदिर निर्माण में स्वर्गीय कालूराम तोवदी, स्वर्गीय निवास जी रुंगटा, स्वर्गीय वासुदेव धानुका, स्वर्गीय बनवारी लाल रुंगटा, स्वर्गीय आनंदीलाल झुनझुनवाला, स्वर्गीय रामधारी लाल लाठ, स्वर्गीय बनवारी सारस्वत, स्वर्गीय महावीर शर्मा, बृजमोहन केडिया, स्वर्गीय हनुमान श्राप, स्वर्गीय राम कुमार केडिया, स्वर्गीय महावीर लाठ आदि रहे। 




मंदिर को भव्य रूप देने के लिए नेपाल बंगाल असम राजस्थान बिहार और अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं ने तन मन धन से सहयोग किया और 1968 में यह मंदिर पूर्ण रूप से बनकर तैयार हुआ। कहा जाता है कि राजस्थान के झुंझुनू स्थित रानी सती मंदिर के बाद इस मंदिर का दूसरा स्थान है।

भव्य रुप से सजाया गया था मंदिर - 

राणी सती मंदिर में दो दिवसीय भादवा महोत्सव को लेकर मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया था। देर शाम दादी जी का फूलों से अलौकिक श्रृंगार एवं ज्योत पूजन हुआ जिसमें शामिल होने एवं दादी जी का दर्शन करने मारवाड़ी समाज के लोगों की भीड़ लगी रही। सबों ने दादी जी पूजा आराधना कर सुख समृद्धि की मंगलकामना की। इस मौके पर भजन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। दादी जी के गर्भगृह में मां दुर्गा के नो रूपों को दर्शाया गया है। पूजा में दादी जी को 56 प्रकार के मेवा मिष्ठान का भोग लगाया गया। रात में भजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने देर रात तक भजन का आनंद लिया। बाहर से आये कलाकारों के द्वारा महामंगल पाठ एवं नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गयी। देरशाम भंडारा का आयोजन किया गया। 

ऐतिहासिक है कसबा का रानी सती मंदिर - 

कसबा में स्थित ऐतिहासिक रानी सती मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और प्राचीन कथाओं के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह मंदिर, बहुतपुराना होने के साथ-साथ नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। रानी सती मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। मंदिर की अनूठी वास्तुकला, रंग-बिरंगी दीवारें और झिलमिलाता सफेद संगमरमर हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ और उनकी आस्था इस बात का प्रमाण है कि रानी सती आज भी लोगों के दिलों में विराजमान हैं।

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