पलायन और सैलाब से उभर नहीं पाया अमौर, नेताओं ने वादा नहीं निभाया

 



अमौर/सनोज

पूर्णियाँ।लोकसभा चुनाव 2024 की अधिसूचना जारी होने के साथ ही किशनगंज लोकसभा क्षेत्र के अमौर विधान सभा क्षेत्र में चुवावी सरगर्मी तेज होने लगी है । क्षेत्र में विभिन्न संगठनों द्वारा चुनावी रणनीतियां तैयार किये जाने के संकेत मिलने लगे हैं । ज्ञात हो कि भारतीय गणतंत्र के सर्वाधिक पिछड़ा अमौर विधान सभा क्षेत्र के लगभग पांच लाख की आबादी विभिन्न चुनावों में मतदान तो करती आ रही है, पर चुनावों के बाद गठित होने वाली सरकार से प्रतिदान कुछ भी हासिल नहीं हुआ है । आजादी के सात दशक से अधिक की अवधि गुजर गये । उत्थान पतन की राह से भटकते खोजते हम इतिहास के पथ पर आ पहुंचे हैं जहां पूर्णिया जिले के अमौर विधान क्षेत्र जो किशनगंज लोकसभा क्षेत्र परिसिमन मे आता है की तस्वीर आज भी सर्वाधिक पिछड़ा नजर आता है और यहां के बेरोजगारों को सौगात में पलायन का दर्द ही नशीब हुआ है


। इस विधान सभा क्षेत्र में गरीबी, भुखमरी एवं बेरोजगारी की समस्यायें जहां मुंह बाये खड़ी है वहीं दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं से क्षेत्र की जनता वंचित है। बाढ़ व नदी कटाव यहां  की प्रमुख समस्यायें हैं जो हर वर्ष क्षेत्र के जनसमुदाओं के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है । इस विधान सभा क्षेत्र को नेपाल की तराई से निकलने वाली परमान, बकरा, कनकैयी, महानंदा जैसी भयावह नदियों की उफनती जलधारा मुख्य रूप से बाढ़ व कटाव से प्रभावित करती है। बाढ़ से अब तक इस विधान सभा क्षेत्र का अरबों खरबों रूपये की क्षति हो चुकी है । इसके बावजूद राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा इस गम्भीर समस्या का अभी तक कोई ठोस जनोपयोगी हल नहीं निकाला जा सकी है । इस प्रखंड में शिक्षित बेरोजगारों व प्रवासी मजदूरों को सौगात में झूठी अश्वासनो व पलायन का दर्द ही नशीब हुआ है । सरकारी लचर व्यवस्था, केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में अनवरत जारी लूटखसोट, आजादी के बाद लगातार सत्ता सुख के समंदर में गोते लगाते प्रतिनिधियों की खोखली घोषणायें, रोजगार का अभाव व औद्योगिक दृष्टिकोण से शून्य समझा जाने वाला बदहाल अमौर प्रखंड के बेरोजगारों को पेट की ज्वाला शांत करने की विवशतायें, अपना गांव, सगा सम्बंधि, बीबी बाल बच्चों का मोह माया त्याग कर रोजी रोटी की तलाश में विभिन्न प्रांतों में भटकना एक मजबूरी बन गई है । ग्राम विकास इन शब्दों को यहा के लोग दशकों सॆ सुनते आ रहे हैं जबकि इस विधान सभा क्षेत्र के अधिकांश गांव अविकसित का चित्र पेश करते हैं । यहां के ग्रामीॅण क्षेत्रों नें सभी मौसम में चलने योग्य सड़के नहीं हैं। जगह जगह गड्डों में तब्दील यहां की जर्जर ग्रमीण सड़कें एवं एक दशक से अधिक की अवधि से लम्बित खाड़ी घाट व रसेली घाट का अधूरा पुल राज्य सरकार की विकास उपलब्धियों का नमूना पेश करती हैं । ग्राम विकास से सम्बंधित जितनी भी योजनायें क्षेत्र में चलाई गई है उससे यहां गांवों की मौलिक दशाओं में कहीं कोई परिवर्तन नहीं हो पाया है और क्षेत्र के लोग पुल पुलिया के अभाव में आज भी नाव के सहारे यातायात करने पर विवश हैं । अमौर विधान सभा क्षेत्र को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए 15 साल पूर्व जलालगढ़-कानकी रेल मार्ग की योजना स्वीकृत की गई थी जिसका शिलान्यास तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव व केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री मो तसलीम उद्दीन द्वारा 27 फरवरी 2009 को किशनगंज जंक्सन में किया गया था । सत्ता परिवर्तन के बाद यह रेल मार्ग निर्माण की योजना भी अधर में लटक गया है और रेल मंत्रालय के ठंडे बसते में दफन होकर रह गया है । इस विधान सभा क्षेत्र में दो नये प्रखंड मुजफ्फर नगर बाड़ा ईदगाह व मजगामा हाट सृजन का मामला भी विगत 20 साल से लम्बित है ।

इन दोनों प्रखंडों के सृजन का प्रस्ताव वर्ष 2004 में अमौर पंचायत समिति की बैठक में पारित होने के पश्चात जिला परिषद पूर्णिया की बैठक में पारित कर प्रस्ताव विहार सरकार को भेजा गया था जिस विहार सरकार द्वारा स्वीकृति भी प्रदान की गई किन्तु सत्ता परिवर्तन होने और नये सरकार का गठन होने के बाद इन दोनों प्रखंडों के सृजन का मामला सरकार के ठंडे बस्ते में दफन होकर रह गया है । इस विधान सभा क्षेत्र में अनेक पुल पुलिया व सड़क निर्माण की योजना स्वीकृत होने तथा शिलान्यास होने के बाद भी वर्षों  से अधूरा है । सम्बंधित संवेदक आधा अधूरा निर्माण कर बोरिया विस्चर समेट का भाग गया है । जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है ।  इस विधान सभा क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों का खास्ताहाल, चिकित्सकों एवं दवाइयों सर्वथा आभाव यहां के गरीब रोगियों की बेबसी का मजाक उड़ाने के लिए काफी है।

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